सोच के बोलना चाहिए
एक बादशाह ने सपना देखा कि उसके सारे दांत टूट कर गिर पड़े हैं।
बादशाह ने एक मुफ़स्सिर ( सपने का फल बताने वाला ) को बुलवा कर उसे सपना सुनाया।
मुफ़स्सिर ने बादशाह से कहा : “इसका फल ये बनता है कि आपके सारे घर वाले आपके सामने मरेंगे”।
बादशाह को बहुत गुस्सा आया। उसने मुफ़स्सिर को क़त्ल करवा दिया।
एक और मुफ़स्सिर को बुलवाया गया। बादशाह ने उसको अपना सपना सुनाया।
मुफ़स्सिर ने कहा: “बादशाह सलामत आपको मुबारक हो, सपने का फल ये बनता है कि आप अपने घर वालों में सब से लंबी उम्र पाएंगे।”
बादशाह ने खुश होकर मुफ़स्सिर को इनाम दिया। सपने का
अर्थ समझाने वाले दोनों ने एक अर्थ बताया था। फ़र्क सिर्फ़ शब्दों का था।
एक को मौत मिली और एक को ईनाम।
क्या इस बात का यही मतलब नही बनता के अगर बादशाह अपने घर वालों में सब से लंबी उम्र पाएगा तो उसके सारे घर वाले उसके सामने ही मर जायेंगे ?
“आपका बोला गया एक एक शब्द किसी दूसरे के लिए मरहम भी बन सकता है और ज़ख्म भी दे सकता है। शब्दों का चयन आपके हाथ मे है। “
सोच समझ कर बोलें.
आपका दिन शुभ हो!
ऐसी ही जीवनमंत्र हर सुबह पढ़ने के लिए…
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