रविवार को उनके घर आकर जाकर भरपाई को सम्मानित करेंगे समाजसेवी महाबीर फरमाणा
सत्संग आयोजन में आने वाली सभी महिलाओं को भी किया जाएगा सम्मानित
महम
महम चौबीसी के गांव फरमाणा खास की भरपाई का विशेष सम्मान होगा। भरपाई देवी की उम्र 102 साल है। वह फरमाणा खास की सबसे बुजुर्ग महिला है। भरपाई देवी को गांव में महिलाओं के लिए विशेष रूप से होने वाले भक्ति आयोजन के उपलक्ष्य में सम्मानित किया गया जाएगा। यह आयोजन गांव के समाजसेवी महाबीर सहारण के सौजन्य से किया जा रहा है।
महाबीर सहारण ने बताया कि रविवार को फरमाणा खास की महिलाओं के लिए एक सत्संग का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में महिलाएं अपने भक्ति गीतों के प्रस्तुतियां देंगी। फरमाणा खास की पिछड़ा वर्ग चौपाल में होने वाले इस आयोजन में भाग लेने वाली सभी महिलाओं को भी सम्मानित किया जाएगा।
सहारण ने बताया कि भरपाई देवी की उम्र ज्यादा होने के कारण वे सत्संग में नहीं आ सकती। ऐसे में उन्हें उनके निवास स्थान पर जाकर ही सम्मानित किया जाएगा। सहारण का कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य गांव में भक्तिमय वातावरण को बढ़ावा देना है। यदि हमें अपनी नई पीढ़ी को बुराइयों से बचाना है तो शिक्षा, स्वस्थ्य तथा खेलों आदि के साथ.साथ भक्तिमय वातावरण के लिए भी ग्रामीणों को प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के प्रति गांव की महिला में खास उत्साह है।
कौन है भरपाई देवी?
भरपाई देवी ने 100 वर्षों से अधिक के भारत को देखा है। आधार कार्ड में उसकी उम्र एक जनवरी 1922 लिखी है। उसके जीवन की घटनाएं भी उनकी इस उम्र का प्रमाण हैं। हालांकि वे साफ तौर पर कुछ बोल या सुन नहीं पाती। फिर वे समझा देती हैं कि उनकी शादी विक्रमी संवत् 1990 मंे गांव फरमाणा के हरफूल सहारण के साथ हुई थी। तब वे 14 साल की थी। उसके कुछ साल बाद उनका गौना हुआ था। उनकी बड़ी बहन की शादी हरफूल के बड़े भाई के साथ हुई थी। बड़ी बहन के साथ ही उनकी शादी भी कर दी गई थी।
भरपाई देवी को आठ संताने हुई। जिनमें से बड़ा बेटा बलबीर सिंह, दूसरा बेटा वजीर सिंह तथा तीसरा बेटा जगदीश अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके पति का भी दिसम्बर 1999 में देहांत हो गया था। वे अब अपने सबसे छोटे बेटे सत्यवान के साथ रहती हैं। सभी बेटों का भरापूरा परिवार है।
जबकि चार बेटियों ओमपति, संतोष, फूलपति तथा चांदतारी का भी भरापूरा परिवार है।
कई घटनाएं याद हैं
भरपाई की गांव की कई घटनाएं याद हैं। वे फिलहाल कुछ ज्यादा बता नहीं पाती हैं। उनके बेटे सत्यवान का कहना है कि उन्हें विक्रम संवत 1990 का अकाल भी अच्छे से याद है। वे बताती हैं कि बटवारें के समय भी गांव मंे कोई विवाद नहीं हुआ था। भरपाई देवी का परिवार खेती से जुड़ा है। उन्होंने हमेशा सात्विक जीवन जीया है और खान.पान को भी शुद्ध रहा है। वे कड़ी मेहनत में विश्वास रखती हैं। इंदु दहिया/ 8053257789
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