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कौन लाया था पाकिस्तान से महम में प्रभात फेरी? पढ़िए कार्तिक पूर्णिमा विशेष

1949 में महाबीर मंदिर से निकली थी महम में पहली थी प्रभात फेरी

अब निकलती हैं तीन से पांच फेरियां
कार्तिक श्याम को समर्पित होते हैं फेरी के गीत
लालटेन की रोशनी में निकलती थी शुरुआत में फेरी
दल के हर सदस्य की भूमिका होती है निश्चित

डा. बिजेंद्र विजय दहिया

कार्तिक मास की सुहावनी जल्दी सुबह में गलियों में गुंजते श्रीकृष्ण के भक्ति गीत, बजती खड़ताले और शंख, प्रभात फेरियों से होता सकारात्मक ऊर्जा का संचार हमारी अमूल्य सांस्कृतिक तथा धार्मिक परंपराओं का परिचायक हैं।
हरियाणा में कार्तिक मास में ‘लड़कियों की टोलियों के कार्तिक स्नान और गीत’ तो सदियों पुरानी परंपरा है, लेकिन शहरों में पुरुष वर्ग की सुबह की कार्तिक श्याम प्रभात फेरी आजादी के बाद ही शुरु हुई है। ये फेरियां बंटवारें में वर्तमान पाकिस्तान से आए हिंदुओं ने यहां शुुरु की हैं।

भगवदधाम मंदिर प्रभात फेरी (फाइल फोटो)
ऐतिहासिक महाबीर मंदिर प्रभात फेरी का (फाइल फोटो)


डा. तुलसी दास ने बजाया था महम में प्रभात फेरी का पहला शंख
महम में प्रभात फेरी की शुरुआत 1949 में हुई बताई गई है। प्रभात फेरी के महम के पहले दल में मुख्य रूप से डा. तुलसीदास, नंदलाल चराया, भंन्जू राम गेरा, डा. भगवान दास, मोतीराम रेहल्न, नंद लाल शर्मा, दरिया राम नारंग, मास्टर हरि किशन, राम गोपाल चराया तथा चौथू राम आदि शामिल थे। उन दिनों बिजली नहीं थी।
मास्टर हरिकिशन सबसे आगे लालटेन लेकर चलते थे। चौथू राम झंडा उठाते थे। दरिया राम नारंग प्रसाद वितरण करते थे। बाकी सबकी भी अपनी अपनी भूमिकाएं निश्चित होती थी। आज इनमें से तो कोई हमारे बीच नहीं है, लेकिन इनके द्वारा शुरु की प्रभात फेरियों द्वारा इनके घरों के सामने इनकों समर्पित गीत अवश्य गाए जाते हैं।

हरिमंदिर प्रभात फेरी का दल (फोटो दीपक दहिया)


पाकिस्तान में निकलती थी फेरियां
महम में पहली कार्तिक प्रभात फेरी निकलने वाले अधिकतर व्यक्ति संयुक्त भारत के जिला मुलतान से आए थे। ये सभी वहां पर कार्तिक में प्रभात फेरी निकलते थे। ठीक वैसे ही यहां पंरपरा शुरु की।

यहां से निकली थी महम की पहली कार्तिक श्याम प्रभात फेरी (फोटो दीपक दहिया)


महाबीर मंदिर से निकली थी पहली प्रभात फेरी
पहली प्रभात फेरी महाबीर मंदिर से निकली थी। बाल ब्रह्मचारी तथा धर्म को समर्पित उदासीन संत उत्तम दास जी की प्रेरणा से निकली यह फेरी वर्तमान भगवद्धाम मंदिर तक जाती थी। उसके बाद धीरे धीरे पूरे शहर के मंदिरों की प्रक्रिमा इस फेरी द्वारा की जाने लगी।
वर्ष 2004 से श्री कृष्णा नंद गोविंदा नंद जी महाराज के परम शिष्य स्वामी श्री विवेकानंद जी की प्रेरणा से भगवद्धाम मंदिर से भी एक अलग से प्रभात फेरी निकलने लगी। इस फेरी को शुरु करने वालों मेें मुख्य रूप से हंस राज गेरा, तिलक राज, कृष्ण लाल गेरा, दयानंद भल्ला, दयानंद खट्टर तथा पवन गेरा आदि शामिल हैं।
महम से ही हरिमंदिर प्रभात फेरी भी निकलती है। इस फेरी को शुरु करने वालों में वेदप्रकाश धवन, सुरेश मुंजाल, गोगी राम, नरेंद्र अहलाबादी का नाम मुख्य रूप से लिया जाता है।इसके अतिरिक्त महम से गुरु द्वारा कमेटियों की प्रभात फेरियां भी निकलती है, लेकिन ये प्रभात फेरियां पूरे कार्तिक मास नहीं निकलती।


उदासीन संत उत्तम दास की प्रतिमा

भक्त नंदलाल चराया (फाइल फोटो)
डा. भगवान दास (फाइल फोटो)


श्री कृष्ण भगवान को समर्पित होते हैं गीत
कार्तिक प्रभात फेरी कार्तिक श्याम प्रभात फेरी के नाम से भी जानी जाती है। इस फेरी में अधिकतर श्री कृष्ण भगवान को समर्पित गीत ही गाए जाने की परंपरा रही है। दो गीत के कुछ बोल कुछ ऐसे हैं-
उठ वे कन्हैया जाग सवेरे
दिन होवण नू आया।
चिड़ियां किती चिरमिर,
तारयां रंग बट्या।।
एक गीत है-
दूध रिड़के (बिलोवे) यशोधा मैया भोर,
कढे मक्खन, जगावे मक्खन चोर नूं।।

भक्त मोती लाल रेहल्न (फाइल फोटो)
रामगोपाल चराया (फाइल फोटो)
भक्त भंजू राम गेरा (फाइल फोटो)


कार्तिक प्रभात फेरी पूरे कार्तिक मास चलकर कार्तिक पूर्णिमा को समाप्त होती हैं। इसी दिन गुरु नानक देव की जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। गलियों और घरों में फेरियों का स्वागत किया जाता है। फेरी में भाग लेने वाले स्नान आदि करके पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इनमें भाग लेते हैं।

पंडित नंदलाल शर्मा आजीवन गणेशपुजन कर शुरुआत करते रहे प्रभात फेरी की


यह स्टोरी 30 नवंबर 2020 को पहली बार पोस्ट की गई थी। कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर आज फिर इसे पोस्ट किया जा रहा है।
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2 COMMENTS

  1. सन 1950 से श्री मनोहर लाल वधवा जी के घर पर अब तक जो अभी 4 नवंबर 2020 को भी प्रभात फेरी आई मेरे स्वर्गीय पिता जी मनोहर लाल वधवा ने इस प्रभात फेरी में काफी योगदान दिया और स्वयं भी समय मिलने पर उपस्थित रहते थे प्रदीप वधवा सुपुत्र श्री मनोहर लाल वधवा मकान नंबर 721 वार्ड 3 नजदीक गुरुद्वारा मेहम जिला रोहतक अब दिल्ली रोहिणी में रहते हैं ।
    आप सब को नमस्कार

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