किसान आंदोलन को समर्थन देने किया टिकरी बॉर्डर का रुख
- नाचते गाते चली दिल्ली की ओर
- खुद चला रही हैं ट्रैक्टर
- जवान, अधेड़, बुजुर्ग सब महिलाएं हैं शामिल
- कहा सरकार को कृृषि कानून वापिस लेने ही होंगे
कृषि कानूनों के विरुद्ध आंदोलन में चौबीसी की महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी हैं। गांव फरमाणा की महिलाओं ने भी इस आंदोलन में मोर्चा संभाल लिया है। ट्रैक्टरों और ट्रालियों में सैकड़ों महिलाओं के एक दल रविवार की सुबह टिकरी बॉर्डर का रूख किया। ट्रैक्टरों को भी महिलाएं खुद ही चला रही है।
इन महिलाओं का कहना है कि सरकार ने जिद्द पकड़ ली है तो उन्होंने भी जिद्द पकड़ ली है। लोकतंत्र में जनता की आवाज ताकत होती है। सरकार को कृषि कानून वापिस लेने ही होंगे। इन महिलाओं का कहना है कि चाहे जो हो वे इस आंदोलन को कमजोर नहीं होने देंगी। पुरुषों के साथ-साथ कंधे से कंधा मिला कर आंदोलन में भागीदारी रखेंगी।
महिलाएं अपने साथ खाने-पीने के सामान के अतिरिक्त संगीत आदि की व्यवस्था भी करके गई हैं। ट्रालियों में ही महिलाओं ने नाचना गाना शुरु कर दिया था। टिकरी बॉर्डर जाने वाली महिलाओं में हर वर्ग की महिलाएं थी। बुजुर्ग, अधेड़ तथा जवान सभी में एक जैसा उत्साह था।
टिकरी बॉर्डर जाने वाली महिलाओं में उषा रानी, छन्नों देवी, खुजानी, संतोष, नान्ही, कविता, राजबाला, सरोज, पताशी, सन्तरा, लाडो, अनीता तथा रामरति आदि भी शामिल थी।
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