फरमाणा की ऐतिहासिक चौपाल (सांकेतिक फोटो)

फरमाणा गांव की बिचली चौपाल है महम चौबीसी की धरोहर

लगातार हो रही है बदहाल, नहीं बचाया गया तो बन जाएगी इतिहास
गांव के ऐतिहासिक फैंसलों की गवाह रही है ये चौपाल
इंदु दहिया

महम चौबीसी अपनी ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक विरासत के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यहां की चौपालों का सौंदर्य तथा बनावट हमेशा आकर्षण का केंद्र रही है। चौबीसी के गांव फरमाणा में एक ऐसी चौपाल भी हैं, जिसके नीचे तहखाना है। शायद तहखाने वाली ये अपनी तरह की अकेली चौपाल है।
तीन सौ से चार सौ साल पुरानी है चौपाल
ग्रामीणों का मानना है कि यह चौपाल तीन सौ से चार सौ साल पुरानी है। लगता भी है। चौपाल की बनावट और नक्काशी मुगलकालीन है। ग्रामीण आनंद लाहड़ी ने बताया कि इस चौपाल को गांव की बिचली चौपाल कहा जाता है। पूरा गांव इसी चौपाल के चारों ओर बसा है। यह चौपाल आज भी गांव के मध्य में है। फिलहाल चौपाल की हालात खराब है। ऊपर से छत टूट चुकी है। बंदरों ने डेरा डाल रखा है।

बंदरों का डेरा बनी है फरमाणा की बिचली चौपाल

क्यों बनाया था तहखाना?
ग्रामीण सुनील कुमार ने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि इस तहखाने में ग्रामीण गुप्त बैठकें करते थे। चार सौ साल पहले अराजकता का भी दौर था। एक गांव से दूसरे गांव की लड़ाइयां हो जाती थी। गांव एक दूसरे पर चढ़ाई कर देते थे। चौपाल का यह तहखाना हथियार रखने के साथ-साथ छुपने के भी काम आता था। बाद में इस तहखाने में बर्तन व अन्य जरूरत की सामान भी रखा जाने लगा। फिलहाल इस तहखाने को एक दीवार से बंद कर दिया गया है।

यहां से जाता था चौपाल में तहखाने का दरवाजा

कभी होते थे गजब के भित्ती चित्र
फरमाणा की इस बिचली चौपाल में गजब के भित्ती चित्र थे। इन चित्रों में धार्मिक कथाओं के अतिरिक्त योद्धाओं की वीर गाथाओं को चित्रण भी था। कुछ समय तक ये चित्र साफ दिखाई देते थे। हालांकि इन भित्ती चित्रों को कुछ हद तक अभी तक भी चौपाल की दीवारों पर देखा जा सकता है। अच्छी बात ये है कि चौपाल की इन दीवारों को अभी तक पोता नहीं गया है।

असपष्ट से अभी भी दिखाई देते हैं चौपाल के भित्ती चित्र

मुगलकालीन कारीगरी का गजब नमूना
फरमाणा की यह चौपाल मुगलकालीन कारीगरी का गजब नमूना है। पत्थरों की नक्काशी। लखौरी ईंटों से निर्माण, दरवाजों पर नक्काशी के पत्थरों के वंदनवार, आज भी इस चौपाल के सौंदर्य के प्रत्यक्ष गवाह हैं।

पत्थरों पर है शानदार मुगलकालीन कारीगरी
महाबीर सिंह

बनाया जा सकता है पुस्तकालय
ग्रामीण महाबीर सिंह ने बताया कि यह उनके गांव की अमूल्य धरोहर है। कुछ दिन पूर्व उन्होंने इस चौपाल की सफाई भी करवाई थी। वे इस संबंध में ग्रामीणों से बात करेंगे। वे चाहते हैं कि इस चौपाल के ऐतिहासिक स्वरूप को कायम रखते हुए इस चौपाल का जीर्णोद्धार किया जाए। गांव के बीच में होने के कारण वाहनों की पार्किंग ना होने से यहां बड़े आयोजन नहीं हो पाते, लेकिन इस चैपाल को गांव का सार्वजनिक पुस्तकालय व अन्य सृजनात्मक गतिविधियों का केंद्र बनाया जा सकता है। इस दिशा में वे कार्य करेंगे।24c न्यूज/ 8053257789

आज की खबरें आज ही पढ़े
साथ ही जानें प्रतिदिन सामान्य ज्ञान के पांच नए प्रश्न
डाउनलोड करें, 24c न्यूज ऐप, नीचे दिए लिंक से

Link: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.haryana.cnews

2 thoughts on “चौबीसी के किस गांव की चौपाल में है तहखाना? ग्रामीण क्या करते थे इस तहखाने में? चौबीसी की सबसे सुंदर चौपाल में एक थी यह चौपाल? कभी थी गजब की नक्काशी! आज किस हाल में है? आगे की क्या है ग्रामीणों की योजना?-24c न्यूज संडे स्टोरी”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *