प्ररेक कथा

एक बार एक राजा की संतान नहीं थी। राजा बूढ़ा हो गया, लेकिन उन्हें कोई योग्य उतराधिकारी नहीं मिल रहा था। अन्तत: राजा को एक योजना सूझी।
राजा ने घोषणा करवा दी कि जो भी फलां दिन शाम को राजा से मिलने आएगा। उसे राजा अपने राज्य का एक हिस्सा देगा।
राजा के आसपास मंत्रीगण और शुभचितंक चितिंत हुए। उन्होंने कहा कि ऐसे तो पूरी प्रजा आ जाएगी। आप किस किस को राज का हिस्सा देंगे।
राजा ने सबको शांत रहने के लिए कहा।
निश्चित दिन महल के बाहर बागीचे में बहुत सुंदर व्यंजन परोस दिए गए। सभी प्रकार के खेल तमाशों का इंतजाम किया गया। खाने और पीने की सभी व्यवस्थाएं कर दी गई।
लोग राज की चाह में राजा से मिलने आने लगे। आते ही पहले बाहर लगे व्यजंनों, खाने-पीने की वस्तुओं और अन्य प्रकार के मनोरंजन के साधनों का आनंद लेने लगे।

एक व्यक्ति आया और सीधा राजा से मिलने की जिद्द करने लगा। पहरेदारों ने कहा कि वो पहले कुछ खा पी ले। कोई मौज मस्ती कर लें। फिर राजा से मिल लेना।
उस व्यक्ति ने कहा कि मै सिर्फ राजा के बुलावे पर राजा से मिलने आया हूं। खाने-पीने या मौज-मस्ती करने नहीं।
राजा यह सब सुन रहा था। उसने तुरंत युवक को बुलाया और कहा कि जो व्यक्ति सीधा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है वही अपने उद्देश्य में सफल होता है। तुम में इस राज्य के उत्तराधिकारी होने के गुण हैं। राजा ने उस व्यक्ति को राज्य का उतराधिकारी बना दिया।

अज्ञात

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