टूटे हुए ताले को दिखाती पशु पालक महिला किरण देवी

बेहद सफाई से अंजाम दिया एक साथ पांच पशुओं की चोरी को

  • दो भैंस, दो झोटी व कटड़ा चुरा ले गए चोर
  • किसी को कानों कान भी नहीं मिली खबर
  • वारदात के लगभग 18 घंटे बाद भी कटड़ा अपनी मां को भूले हुए है
  • कुछ खतरनाक खिलाते या सुंघाते हैं पशुओं को चोर
  • आसपास के घरों के दरवाजे कर दिए बाहर से बंद
  • पशु पालक को हुआ है तीन लाख से ज्यादा का नुकसान

रविवार की जल्दी सुबह गांव फरमाणा में पशु चोरी की चौकाने वाली वारदात हुई है। एक पशुपालक की दो भैंस, दो झोटी और एक कटड़ा एक साथ पांच पशु चुरा लिए गए। चोरी भी ऐसे शातिर अंदाज में की भीड़ भाड़ वाली गली में भी हुई और किसी को पता भी कुछ पता नहीं चला। चोरी किए गए पांचों पशुओं की कीमत तीन लाख से ज्यादा बताई गई है।

पशु पालक किसान राजबीर तथा उसकी पत्नी किरण ने बताया कि उनके घर के सामने पशुओं के लिए बनाए गए मकान में बंधे हुए थे। राजबीर का शनिवार की रात को खेत में नहरी पानी का वार भी था। वह रात लगभग 12 बजे खेत से पानी देकर आया है। तक तक सब ठीक ठाक था।

सुबह उसके पशु गायब मिले। घर के पास कुछ ही दूरी पर पशुओं को वाहन में चढ़ाने के निशान मिले हैं। पशुओं के सामने ताला लगाया हुआ था। चोरों ने उस ताले को काटा है। लगता है पशु चोरों ने वारदात से पूर्व इलाके की पूरी रेकी थी।

आसपास के घरों के दरवाजे किए बाहर से बंद

पशु चोरों ने राजबीर  के घर सहित आसपास के घरों के दरवाजे बाहर से बंद कर दिए। ताकि कोई ग्रामीण जाग भी जाए तो उसे बाहर निकलने में समय लगे। और आवाज करे तो उन्हें पता चले। सुबह ग्रामीण उठे तो बंद उन्होंने अंदर से पड़ोसियों को सूचना देकर दरवाजों को खुलवाया।

एक महीनें के इस कटड़े को छोड़ गए पशु चोर

कुछ खतरनाक किया गया है पशुओं को

चुराई गई भैंसों में दो भैंस ताजा ब्यायी थी। इनमें एक तो केवल एक महीनें की ब्यायी हुई थी। चोरों ने सबसे ताजी ब्यायी भैंस का कटड़ा भी छोड़ दिया। यह भैंस कटड़े के बिना कैसे गई? उसने आवाज नहीं की? ग्रामीण हैरान हैं। और खास बात यह है कि कटड़ा भी अभी तक नहीं बोल रहा। ग्रामीणों का कहना है कि जरुर चोरों ने पशुओं को कुछ किया है कि उन्होंने आवाज नहीं की। इस संबंध में जरुर जांच की जानी चाहिए।

हो सकता है इन्जैक्शन लगाया हो- पशु चिकित्सक

पशु चिकित्सक डा. प्रदीप ने बताया कि ऐसे इन्जैक्शन उपलब्ध हैं जिनकी निश्चित मात्रा में दवा देने पर पशु शांत हो जाता है। इन्जैक्शन लगाने के लगभग पांच मिनट बाद पशु ऐसी स्थिति में हो जाता है कि वह बिना आवाज किए जहां चाहे वहां ले जाया जा सकता है। हो सकता हे पशु चोर इस प्रकार के इन्जैक्शन का प्रयोग करते हों। पशुओं को शांत करने के लिए ये इन्जैक्शन प्रयोग में लाए जाते हैं।

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