सफल हुई तो अच्छी है आगे की योजना
नागरिक चाहते हैं यहां बने लघु जलघर
कसाइयों वाले तालाब परिसर पर विशेष
महम
तालाब की नही, शायद पार्क और ट्रैक की जरूरत थी, साथ में पार्क पहले ही थी अब और सुंदर हो गई। ट्रैक भी बन गए, आसपास सौंदर्यकरण की योजना भी है। लोग भूले नहीं होंगे, यहां कभी कसाइयों वाला ऐतिहासिक तालाब होता था। साथ में एक कुआं। पूरे शहर को पानी की आपूर्ति का सबसे बड़ा साधन, यहीं कुआ था। तालाब का बहुत बड़ा हिस्सा तो भूमाफिया की भेंट चढ़ चुका था। शेष में भी अब सैर के लिए ट्रैक बना दिए गए हैं। अच्छे भी लग रहे हैं। एतिहासिक कुआं पाट दिया गया। केवल बुर्ज खड़े हैं। इन सबके बीच एक गड्ढानुमा झील सी बनी है। इसकी रिटर्निंग वाॅल भी हैं। इस स्थान से मिट्टी उठा लिए जाने के कारण ये गड्ढा बना है। कसाइयों वाले तालाब का खो जाना, कुएं का पाटा जाना, एक अलग से मुद्दा है। सही और गलत पर अलग से बहस है।
मुद्दा ये है
आज मुद्दा ये हैं कि ये जो बीच में बचा है ये क्या है? नगरपालिका के निवर्ततमान उपप्रधान शैंकी गिरधर की माने तो यह तालाब का हिस्सा बचा है। अगर ये तालाब है तो इसमें बारिश का पानी कहां से आएंगा। पानी आने का कोई रास्ता तो बचा ही नहीं है।
योजना ये है
शैंकी गिरधर का कहना है कि पहला लक्ष्य तालाब की शेष भूमि को भूमाफिया से बचाना था। जो बचा ली गई। सरकार के दिशा निर्देशों के कारण तालाब कीे भूमि को तालाब के लिए ही प्रयोग किया जा सकता था। इसलिए तालाब के भाग को छोड़ा गया है। योजना के अनुसार इसमें भिवानी डिस्ट्रीब्यूटरी से सीधा पानी लाया जाएगा। तल को नीचे से कच्चा ही रखा जाएगा। पानी के आने और निकासी की अलग से व्यवस्था होगी। इस संबंध में एस्टीमेट भी बन चुका है। संभव है शीघ्र ही इस पर कार्य आरंभ हो। हालांकि गिरधर का ये भी कहना है कि कुएं के बचे हुए भाग का सौंदर्यकरण भी होगा।
लघु जलघर बने तो अच्छा है
वार्ड छह निवासी धीरज दुरेजा का कहना है कि इस स्थान पर लघु जलघर बने तो अच्छा है। इससे शहर की पेयजल की समस्या का काफी हद तक समाधान होगा। शैंकी गिरधर का भी कहना है कि महम में पानी की किल्लत है। लघु जलघर बना कर शहर के पूर्व हिस्से को यहां से पानी की सप्लाई की जा सकती है। इस संबंध में उन्होंने अधिकारियों संे कहा है। आगे भी इस दिश में प्रयास करते रहेंगे। नागरिक भी यही चाहते हैं कि यहां लघु जलघर बनाया जाए। वार्ड 6 निवासी टोनी धींगड़ा का कहना है कि अब यह जगह भूमाफिया से भी बच गई और प्रयोग में भी आ रही है।
खैर अगर कुएं की बुर्जों की ऐतिहासिकता बची रहे और सौंदर्यकरण हो जाए। तालाब तो अब पुराने रूप में लाया जाना संभव नहीं है। जो बचा है उसको उपयोगी बना दिया जाए तो अच्छा ही होगा।24c न्यूज/ इंदु दहिया
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