राजा को समझ आ गई फकीर की सीख
एक राजा ने एक फकीर के पास जाकर कहा कि महात्मा मैं संशय में हूं। कहते हैं मरने के बाद व्यक्ति के कर्मों के अनुसार स्वर्ग और नरक के द्वार खुलते हैं। कृप्या मुझे समझाएं की स्वर्ग और नरक के द्वार कैसे खुलते हैं।
फकीर शांत रहे। फकीर के शिष्य राजा पर बरस पड़े। बोले तुम इस लायक ही नहीं हो कि तुम्हें ये भी बताया जाए कि स्वर्ग और नरक के द्वार कैसे खुलते हैं। तुम बुद्धिहीन राजा हो। तुम में कोई समझ नहीं है। तुम अंहकारी हो। तुम्हें फकीर से बात करने तक की तमीज नहीं है।
राजा कुछ देर तो सुनता रहा। उसे धीरे-धीरे गुस्सा आने लगा। अंहकार और क्रोध चरम पर पहुंच गया, लेकिन फकीर के शिष्य राजा को ताने देते ही रहे। आखिर राजा ने म्यान से तलवार निकाली और फकीर व शिष्यों की ओर खींच दी।
फकीर मुस्कुराएं और तुरंत बोले-‘लो खुल गया नरक का द्वार’
राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ। उसने तुरंत तलवार को म्यान में रखा और दंडवत फकीर के पैरों में गिर पड़ा। कहा महाराज मुझसे गलती हो गई। मैं क्रोधवश फकीरों पर ही तलवार उठा बैठा। कृप्या मुझे माफ कर दें।
फकीर ने इस बार कहा, ‘लो खुल गया स्वर्ग का द्वार।’
राजा को ज्ञान हो गया कि फकीर के शिष्य उसे क्यूं क्रोधित कर रहे थे।
अज्ञात
जी बिल्कुल, हमारे कर्म ही होते है जिनसे मरने से पहले ही यह तय हो जाता है कि् हमारा स्थान कहाँ होगा?
प्रेरणादायक कहानी! हमारे कर्म ही होते है जिनसे मरने से पहले ही यह तय हो जाता है कि् हमारा स्थान कहाँ होगा?