रामलीला के दिनों में हुई थी पुत्र और पुत्री की मौत

फिर भी अभिनय और निर्देशन करते रहे रमेश बंसल
मां से विरासत में मिला भक्ति संगीत व गायन का गुण
ढ़ाई साल की उम्र में खो दिए थे पिता
24सी न्यूज, विशेष रामलीला कलाकार श्रृंखला

ढ़ाई साल की उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया। नाना के यहां पले। मां से मिले संस्कारों के चलते संगीत व नाट्य के प्रति रुचि जागृत हुई तो संवेदना और समर्पण के उच्च मापदंड स्थापित किए। पुत्र के मरणासन्न होने पर भी रामलीला में अभिनय करते रहे और पुत्री के चल बसने पर भी रामलीला का निर्देशन किया। ऐसे महान व समर्पित संगीतकार, अभिनेता और निर्देशक हैं रमेश बंसल उर्फ रामू।
मूल रूप से भिवानी निवासी रमेश बंसल का जन्म 1952 में सिलीगुड़ी में हुआ था। वहां उनके पिता मुरारी लाल व्यापार करते थे। तब रमेश की उम्र मात्र ढ़ाई साल थी। 1964 तक नाना के घर हांसी में रहे। हांसी की रामलीलाओं में बाल भूमिकाएं भी की। मां भगवानी देवी ने पहले सिलाई कढ़ाई का कोर्स किया, फिर उनकी सिलाई अध्यापिका की नौकरी लग गई। मां की नौकरी के चलते ही 1965 में महम आना हुआ। फिर यहीं के होकर रह गए।

लक्ष्मण की भूमिका में रमेश बंसल


1968 से शुरु हुआ रामलीला का सफर
रामलीला के भीष्म पितामह कहे जाने वाले रामकुमार भक्त जी से शिक्षा लेते हुए ही रमेश ने 1968 में महम में भरत, मेघनाथ तथा मारिच की भूमिकाएं की। 1970 से 1973 तक पंचायती रामलीला में राम की भूमिका निभाई। एक साल मूर्खमंडल में भी नाटकों में अभिनय किया। इसी बीच महम में आदि संगीतकार कहे जाने वाले पंडित जगन्नाथ को इन्होंने अपना संगीत गुरु बनाया। आदर्श रामलीला में इन्होंने 1985 तक राम की भूमिका निभाई। उसके बाद से अब तक निर्देशन कर रहे हैं। रामलीलाओं का गठन करने में भी इनका अहम योगदान रहा है।
मरणासन्न थे पुत्र
1985 में रामलीला के दिनों में उनका छह वर्षीय पुत्र लाइलाज बीमारी से ग्रस्त होकर पीजीआई रोहतक में दाखिल था। इसके बावजूद रमेश रामलीला में भूमिका निभाते रहे। आखिर उनके पुत्र का देहांत हो गया था। लेकिन उसके बाद उन्होंने रामलीला में राम के अभिनय से सन्यास ले लिया और केवल निर्देशन करते रहे।

साथी कलाकारों के साथ आरंभिक दिनों में रमेश बंसल


बेटी का सीता बनाना चाहते थे
1991 में रामलीला के दिनों में रमेश को बेटी हुई। उसे वे रामलीला में बाल सीता बनाना चाहते थे। बच्ची अचानक बीमार पड़ गई और मात्र 13 दिन की उम्र में वह चल बसी। रमेश उसे सीता नहीं बना पाए। बेटी की मृत्यु के बावजूद इस वर्ष भी उन्होंने रामलीला का निर्देशन कार्य पूरा किया। अब रामू को एक बेटा और एक बेटी हैं।
संगीत निर्देशक के रूप में भी है पहचान
रमेश गोयल की महम में एक कुशल संगीत निर्देशन के रूप में भी पहचान है। लगभग सभी स्कूलों तथा कालेज व आईटीआई के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का निर्देशन कर चुके हैं।

भक्तरामकुमार जी से आशीर्वाद लेते रमेश बंसल

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