टीटू के नाम से जाने जाने वाले अजय को अब भी कई लोग ‘लक्ष्मण’ ही कहते हैं
श्रवण के नाटक तथा लक्ष्मण परशुराम संवाद का रहता था दर्शकों को इंतजार
1977 में शामिल हुए थे रामलीला के नाट्य दल में
भक्तरामकुमार और रमेश गोयल का मानते हैं नाट्य कौशल सिखाने में योगदान
24सी न्यूज, विशेष रामलीला कलाकार श्रृंखला
रामलीला के कलाकार बेशक प्रोफैशनल कलाकार नहीं होते। उनकी आजीविका अभिनय से नहीं कुछ और कार्यों से चलती है, लेकिन कुछ कलाकार ऐसी छाप छोड़ देते हैं कि उनका रामलीला का अभिनय ही उनको विशेष पहचान दे देता है। वे भूमिका को ऐसे समर्पण और संवेदना से जीते हैं कि दर्शक उनको उनकी भूमिका के नाम से ही याद करने लगते हैं। ऐसे ही एक संवेदनशील रामलीला कलाकार हैं, अजय सिंगला उर्फ टीटू। अजय श्रवण और लक्ष्मण की भूमिका को ऐसे अंदाज में निभाते थे कि दर्शकों को श्रवण के नाटक और लक्ष्मण परशुराम संवाद का इंतजार रहता था।
1977 में आदर्श रामलीला दल में शामिल हुए अजय सिंगला ने 1985 में पहली बार लक्ष्मण की भूमिका को निभाया। तभी से ही वे श्रवण की भूमिका भी निभाने लगे थे। पुरुषोत्तम गोयल के साथ उनकी राम-लक्ष्मण की जोड़ी हिट रही है। उन्होंने 2005 तक लक्ष्मण की तथा 2011 तक श्रवण की भूमिका निभाई है। अभिनय के लिए उन्हें अनेकों बार पुरस्कृत किया गया है।
जलती फुलझड़ी पर लेटे रहे
लक्ष्मण को जब मेघनाथ से शक्ति लगती है तो विशेष प्रभाव छोड़ने के लिए रामलीला में मेघनाथ के तीर के साथ जलती फुलझड़ियां बांध दी जाती हैं। एक बार ऐसा हुआ कि तीर के साथ आई फुलझड़ियां पास ही गिर गई और लक्ष्मण मूर्छित होकर उन्हीं फुलझड़ियों पर गिर गया। लक्ष्मण बने अजय जलती फुलझड़ियों पर ही लेटे रहे और उनकी पीठ जल गई। तेज दर्द और जलन के बावजूद वे हिले नहीं। ताकि दर्शकों को ऐसा ना लगे कि लक्ष्मण मूर्छा के बावजूद हिल रहे हैं।
रामकुमार भक्त और रमेश गोयल को देते हैं श्रेय
अजय अपने अभिनय को निखारने का श्रेय रामकुमार भक्त जी और रमेश गोयल उर्फ रामू को देते हैं। उनका कहना है कि इनके सिखाए गुरों के कारण ही वे अपने अभिनय को इस स्तर तक ले जा पाए।
समाजसेवा में लेते हैं रुचि
अजय सिंगला पिछले 15 साल से वैश्य एजुकेशन सोसायटी की गवर्निंग बॉडी के सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त अन्य सामाजिक कार्यों में भी गहरी रुचि लेते हैं। अपने जन्मदिन को भी रक्तदान शिविर लगाकर मनाते हैं।
सर रमेश गोयल नहीं रमेश बंसल ऊर्फ रामू है