हसन ने राबिया से कहा, आपने मेरी आँखें खोल दी

सूफी संत राबिया के पास एक दूसरे सूफी संत हसन बैठे हुए थे। उनके के पास एक व्यक्ति आया उसके पास कुछ सोने की अशर्फियां थी। उस व्यक्ति ने ये अशर्फियां हसन के पैरों में रखी और कहा कि ये भेंट स्वीकार करें।  हसन आग बबूला हो गए। उन्होंने कहा की के यह सब मेरे पास क्यों लाए हो?  मुझे सोने की अशर्फियों का लोभ नहीं है। मेरे लिए ये अशर्फियां केवल रेत मिट्टी हैं।

हसन उस व्यक्ति पर क्रोधित हुए और कहा कि इन अशर्फियां को तुरंत यहां से ले जाओ।पास बैठी राबिया जोर से हंसी, उसने कहा कि आपका अशर्फियों के प्रति मोह अभी खत्म नहीं हुआ है।  अगर यह खत्म हो गया होता आप इन अशर्फियों को देखकर क्रोधित नहीं होते। अगर आपके लिए ये अशर्फियां रेत और मिट्टी होती तो आप इनसे भयभीत क्यों हो। पड़ी रहती कहीं भी जैसे रेत और मिट्टी पड़ी रहती है।

हसन ने राबिया से कहा, आपने मेरी आँखें खोल दी।

आपका दिन शुभ हो!!!!!

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