22 जून को तय होगा किस वर्ग से सिर सजेगा महम पालिका के प्रधान का ताज

सामान्य वर्ग में कई प्रत्याशी ताल ठोक चुके हैं चुनाव के लिए
महम

22 जून को तय हो जाएगा, इस बार महम में किस वर्ग के सिर सजेगा पालिका प्रधान का ताज। 22 जून को जिन नगरपालिकाओं के प्रधान पद के लिए आरक्षण निर्धारण होना है, उनमें से महम भी एक है। 22 जून को महम के कई उम्मीद्वारों के सपनों को उड़ान मिलेगी। जबकि कुछ के सपने धराशाही भी हो जाएंगे। पालिका प्रधान का पद अगर किसी वर्ग विशेष के लिए आरक्षित हो गया तो सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों के सपने धराशाही होना तय है। अगर पालिका प्रधान का पद सामान्य या सामान्य महिला के खाते में आ गया तो विशेष आरक्षित वर्गों के प्रत्याशी चुनाव लड़ने की हिम्मत मुश्किल से जुटा पाएंगे।
इस बार पालिका प्रधान का चुनाव सीधे चुनाव से होगा। अब तक नगरपालिकाओं में प्रधान का चुनाव पार्षदों द्वारा बहुमत के आधार पर होता था। ऐसे में पालिका प्रधान का कद तथा महत्व दोनों बढ़ेंगे।
कई उम्मीद्वारों ने बीते कई महीनों से या यूं कहिएं कि साल से भी ज्यादा समय से चुनाव लड़ने का मन बना रखा है। इसके लिए वे अपने तरीके से किलेबंदी भी कर रहे हैं। इनमें से कुछ के नाम शहर में चर्चा में हैं, जबकि कुछ चुप है और मौके की इंतजार में हैं। जिनके नाम चर्चा में हैं, उनमें से कुछ खुल कर स्वीकार भी कर रहे हैं कि उन्होंने पालिका प्रधान के लिए चुनाव लड़ने का मन बना लिया है।
22 जून को होने वाले आरक्षण पर सबसे ज्यादा नजर सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों की लगी हैं। विशेषकर उनकी जिन्होंने चुनाव का मन बना रखा है और स्वीकार भी कर रहे हैं कि वे चुनाव लड़़ेंगे।

बसंत लाल गिरधर

वर्तमान में वार्ड सात से पार्षद सरोज देवी के पति एवं समाजसेवी संस्था जनसेवा समिति के प्रदेशाध्यक्ष बसंत लाल गिरधर तो यहां तक कह रहे हैं कि यदि महम पालिका का प्रधान पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए भी आरक्षित हुआ तो वे अपने परिवार से किसी महिला को चुनाव मैदान उतारेंगे। यदि प्रधान पद सामान्य वर्ग के लिए रहा तो वे स्वयं पालिका प्रधान का चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। गिरधर का यह भी कहना है कि उनके सामने निर्दलीय या पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने के दोनों ही विकल्प खुले हैंै। हालांकि इस संबंध अंतिम निर्णय परिस्थिति अनुसार बाद मंे लिया जाएगा। अगर परिस्थितियां अनुकुल रही तो वे पालिका प्रधान का चुनाव लड़ेंगे।

मनोज उर्फ शंपी तागरा

दूसरी ओर वार्ड 15 के वर्तमान पार्षद मनोज उर्फ शंपी तागरा का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय तो नहीं लिया है, लेकिन हालात अगर अनुकुल रहे तो वे प्रधान पद का चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि शंपी का कहना है कि पद अगर सामान्य महिला आरक्षित हुआ तो वे अपनी पत्नी को चुनाव नहीं लड़वाएंगे।
वार्ड 11 की पार्षद सुनीता रानी के पति जोगेंद्र खुराना की भी महम में चुनाव लड़ने की चर्चा हैं। लेकिन जोगेंद्र ने फिलहाल इन चर्चाओं को विराम दे दिया है। जोगेंद्र का कहना है कि अगर पालिका प्रधान का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित भी हुआ तो वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनका किसी दल या निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने की कोई योजना नहीं है।

सोमनाथ गिरोत्रा

पूर्व पार्षद सोमनाथ गिरोत्रा के चुनाव लड़ने की भी महम में चर्चा हैं। गिरोत्रा का कहना है कि वे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता हैं। वे चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन वे चुनाव तभी लड़ेंगे जब उन्हें पार्टी का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसके लिए पार्टी के उच्च स्तरीय नेताओं से बात करेंगे।

ऋषि राज भारद्वाज

सामान्य वर्ग से एक नया नाम इन दिनों चर्चा में हैं वह ़ऋषि राज भारद्वाज का। ऋषि को सांसद अरविंद शर्मा का नजदीकी माना जाता है। ़़़ऋषि का कहना है कि यदि पालिका प्रधान का पद सामान्य वर्ग के लिए रहा तो उनकी चुनाव लड़ने की योजना है। उन्होंने भी अपने विकल्प खुले रखें हैं। उनका कहना है कि भाजपा के बैनर तले या निर्दलीय दोनों ही स्थिति में चुनाव के लिए तैयार हैं।
एक समय महम के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माने जाने वाले स्व. अनिल दुआ के पुत्र भीष्म दुआ को लेकर भी चर्चाएं हैं। हालांकि भीष्म दुआ का कहना है कि उनका ध्यान फिलहाल अपने परिवार पर है। वे चुनाव आदि के बारे में वे नहीं सोच रहे।

शैंकी गिरधर

इसी कड़ी में पालिका के वर्तमान उपप्रधान शैंकी गिरधर का नाम भी लिया जा सकता है। शैंकी का कहना है कि वे भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं। अगर उन्हें पार्टी को आशीर्वाद मिला तो चुनाव लड़ेंगे अन्यथा निर्दलीय चुनाव लड़ने की उनकी कोई योजना नहीं है।
इसके अतिरिक्त लगभग एक दर्जन नाम और भी हैं, जिनके चुनाव लड़ने की महम में संभावना व्यक्त की जा रही हैं। यहां केवल उन नामों को जिक्र किया जा रहा है, जिनकी प्रतिक्रिया ली जा चुकी है। कुछ ऐसे हो जो अपने वर्ग के आरक्षण का इंतजार कर रहे है।ं जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो आरिक्षत वर्गों से हैं, इसके बावजूद प्रधान पद सामान्य वर्ग के लिए आने पर भी चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि सामान्य वर्ग के लिए ओपन रहने पर किसी भी वर्ग का प्रत्याशी चुनाव लड़ सकता है।
फिलहाल 22 जून ज्यादा दूर नहीं हैं। समय ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा हैं, चुनाव लड़ने का सपना देखने वाले प्रत्याशियों की धड़कने तेज होने लगी होंगी। (नजरिया) 24c न्यूज, इंदु दहिया
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