भरत-मिलाप देखने के लिए लग जाती थी भीड़
जनक की भूमिका भी गजब की निभाते हैं
24सी न्यूज, रामलीला विशेष
आदर्श रामलीला में ‘भरत मिलाप’ के दृश्य का लोगों को इंतजार रहता था। वन में चले गए श्रीराम से जब उनके भाई भरत मिलने आते थे तो भरत का विलाप पूरे पांडाल को रुला देता। ओमप्रकाश दहिया ने भरत की भूमिका को ऐसे जिया है कि बड़ी भूमिकाएं भी कई बार उनके सामने कमजोर दिखी।
जनक की भूमिका में सीता के विदाई सीन में उन्हें अक्सर वास्तव में बहुत तेज रोते देखा जाता है। इस भावुक कलाकार की रामलीला प्रेमियों में खूब चर्चा होती है।

ओमप्रकाश 1976 से आदर्श रामलीला में भूमिका निभा रहे हैं। ये इस रामलीला के संस्थापक सदस्यों में से है। रामलीला का सहनिर्देशन भी किया है। पहले दो साल इन्हें केवल दशरथ के मंत्री सुमंत की भूमिका मिली थी। उसके बाद भरत की भूमिका मिली तो यह भूमिका बस इनकी ही होकर रह गई।
बढ़ती उम्र के चलते इन्होंने भरत की भूमिका निभानी तो कुछ समय पहले बंद कर दी। लेकिन जनक की भूमिका गत वर्ष भी निभाई थी। इस वर्ष रामलीला नहीं हो रही अन्यथा इस वर्ष भी इनका यह भूमिका निभाने का इरादा था।

ट्रेनिंग से आए भरत मिलाप के दिन
ओमप्रकाश की 1982 में बीएसएनएल में नौकरी लग गई थी। उस साल रामलीला के दिनों में उनकी ट्रेनिंग थी और छूट्टी मिलना संभव नहीं था। संयोग से शनिवार रविवार के दिनों में भरत मिलाप का दृश्य भी आ गया। ओमप्रकाश यह भूमिका निभाने के लिए महम आए और भूमिका निभाते ही वापिस चले गए। उस साल उन्होंने बिना ही रिहर्सल के यह भूमिका निभाई थी।
दूर से लगाते थेछलांग
भरत की भूमिका में जब ओमप्रकाश वन में श्रीराम से मिलने जाते थे तो वो उन्हें देखते ही दूर से छलांग लगाते थे। संयोग से उन्हें ऐसा करते हुए कभी चोट नहीं लगी। यह दृश्य रामलीला के अति उत्तम दृश्यों में से एक होता था। जिसकी चर्चा अक्सर रामलीला प्रेमी करते हैं।
