समुन्द्र सिंह की पहली रागनी एलबम 1998 में आई थी
24सी न्यूज़
महम चौबीसी को हरियाणा का हृदय कहा जाता है। यहां की मिट्टी में मां बोली हरयाणवी की जड़े गहरी है। यहाँ खेत खलिहान में काम करने वाले किसान भी रचनाकार बन जाते हैं। ऐसे एक रचनाकार हैं, गांव बहलम्बा के समुन्द्र सिंह पंवार, जो विशेषकर हरियाणवी गीत रचनाकारों में किसी परिचय के मोहताज नही हैं।
समुन्द्र सिंह की लेखनी से निकले सैंडल गीत ने देश और विदेश में धूम मचाई है । इसके अतिरिक्त इनके गीत , कविता , गज़ल , कहानी , लेख आदि पत्र – पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होते रहते हैं | समुन्द्र सिंह की पहली रागनी कैसेट 1998 में आई थी। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
समुन्द्र सिंह गांव में ही रहते है। प्रकति और मां बोली हरयाणवी से बहुत प्यार करते हैं। हालांकि समुन्द्र सिंह हिंदी में भी रचनाएं लिखते हैं, लेकिन उनका ज्यादा लेखन हरयाणवी में ही है। उनकी रचनायें बहुत ही मार्मिक और प्रेरणादायक होती हैं। वे दिल से लिखते हैं , दिमाग से नहीं। आम बोल -चाल की भाषा में लिखते हैं। इसलिये इनकी रचनाऐं लोगों की जुबान पर शीघ्र चढ़ जाती हैं।
“समुन्द्र सिंह काव्य – कोष” पुस्तक में इनकी एक सौ के लगभग रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।धर्म प्रेमियों के लिये भी उन्होंने खास रचनाये लिखी हैं।
गणेश वंदना की एक बानगी देखिये :-
जय हो तेरी गणेश जी , जय हो तेरी गणेश जीरिद्धि – सिद्धि के तुम दाता पार्वती है तेरी मातापिता तेरे महेश जी , जय हो तेरी गणेश जी
सरस्वती वंदना, गुरु वंदना, हनुमंत वंदना, शिव -स्तुति , श्याम वंदना, गऊ वंदना आदि भजन, भजन रसिकों को भक्ति रस में पूरी तरह भीगो देते हैं। श्री राम कथा के माध्यम से कवि ने पूरी रामायण को एक भजन में पिरोने का बहुत ही सार्थक प्रयास किया है।
एक बानगी :-श्री राम कथा का करते हैं हम प्रेम से गुणगान ,सुणियों रै धरकै ध्यान
इसी प्रकार गुरु गोरख गाथा, श्री हनुमान गाथा, सन्त रविदास महिमा, गोगा पीर महिमा आदि का कवि ने बहुत ही सुंदर वर्णन किया है।
समुन्द्र सिंह ने हरियाणा के महान कवियों और सांगियों पर भी शानदार रचनायें लिखी हैं। समुन्द्र सिंह गांव में रहकर ही अपना खेती बाड़ी का व्यवसाय भी देखते हैं। 44 वर्षीय समुन्द्र सिंह के परिवार में उनकी मां,दो भाई, पत्नी तथा दो बच्चे हैं।
प्रस्तुति
सोहन फरमाना
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