महात्मा कबीरदास जी की वाणी
मनुष्य को कभी किसी का अपमान या निंदा नही करनी चाहिए। चाहे कोई बड़ा हो या छोटा। गरीब हो या अमीर।
हैसियत को हमें नहीं नापना चाहिए।
न जाने किस नर में नारायण हो
महात्मा कबीरदास जी ने कहा है-
तिनका कबहूं ना निन्दिये, जो पांवन तर होय,
कबहूं उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
अथार्त एक छोटे से तिनके के भी कभी निंदा न करें, जो तुम्हारे पांव के नीचे दब जाता है।
यदि तिनका कभी आंख में उड़कर गिर जाता है तो गहरी पीड़ा देता है