कीमती उपहार

बहुत समय पहले इटली के एक नगर जेनोवा में एंटोनियो नाम का एक सौदागर रहता था। एक दिन एंटोनी ने अपना जहाज सामान से भर लिया और दूर दराज के द्वीपों की यात्रा पर चल पड़ा। उसकी योजना उन मसलों को खरीदने की थी जिनकी उसके देश में बहुत मांग थी।

उसने मखमल देकर दालचीनी, गुड़िया देकर लोंग, चमड़े की पेटियां देकर जायफल खरीदा। एक द्वीप पर वहां के राजा ने उसे भोज पर आमंत्रित किया। लेकिन जब वे दावत के लिए बैठा तो एंटोनियो ने कई सेवकों को लाठियां पकड़े देखा। प्रतीक हो रहा था कि वो सब किसी को मारने के लिए तैयार खड़े हैं। “आश्चर्य की बात है” यह सोचने लगा यह पहरेदार क्या कर रहे हैं। जब भोजन परोसा गया तो एंटोनियों को उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया। अचानक दर्जनों चूहे वहां पर आ गए। सभी पहरेदार उनके पीछे यहां-वहां भागने लगे और लाठियों से मारकर उन्हें हटाने की कोशिश करते रहे।

एंटोनियो स्तंभ रह गया और बोला, ” महाराज क्या वहां पर बिल्लियां नहीं है?” राजा चकित हो गया और बोला, “बिल्लियां ! उसके बारे में तो हमने कभी सुना ही नहीं, यह क्या होती है?” एंटोनियों बोला, “महाराज बिल्ली मुलायम बालों वाली छोटी पशु होती है और चूहों का शिकार करना उन्हें अच्छा लगता है।”

“सच में!” राजा बोला, ” हमें यह बिल्लियां कहाँ मिलेंगी? अगर तुम हमारे लिए कुछ बिल्लियां ला दो तो हम तुम्हें मुंह मांगा मूल्य देंगे। बस बताओ कि मूल्य क्या है?

“बिल्लियों का मूल्य चुकाने की आवश्यकता नहीं,” एंटोनियो ने कहाँ, “हमारे पास बहुत बिल्लियां है। आपको कुछ बिल्लियां देकर मुझे प्रसन्नता होगी।

एंटोनियो चल दिया और शीघ्र ही एक धारीदार बिल्ली और एक बड़ा बिल्ला लेकर लौट आया। जब उसने दोनों को खुला छोड़ दिया तो वे चूहे डरकर भोजन कक्ष से भाग गए और बिल्लियां उनका पीछा करती पीछा करती रहीं।

कितनी आश्चर्यजनक पशु है यह ! राजा ख़ुशी से चिल्लाया।

धन्यवाद मेरे मित्र अब बदले में मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूं। राजा ने एंटोनियो को मूल्यवान रत्न और चमकदार हीरो से भरा एक संदूक दिया। “महाराज इसकी कोई आवश्यकता नहीं” एंटोनियो ने विरोध करते हुए कहा। लेकिन राजा उसकी बात मानने को तैयार ना था।

एंटोनियो अपने नगर जेनोवा लौट आया और अपनी यात्रा की कहानी सबको सुनाई।

उसके सौभाग्य से सब प्रसन्न थे सिवाए लिऊज़ी के जो नगर का सबसे धनी सौदागर था। जब उसने यह बात सुनी तो उसे एंटोनियो से ईर्ष्या होने लगी। दो निकम्मी बिल्लियों के बदले में मैं उस द्वीप के राजा ने इतनी अनूठे रत्न और जहां हीरे दिए। उसने अपने आप से कहा “अरे ऐसा उपहार तो राजा को कोई गरीब किसान भी दे सकता था। कल्पना करो कि ऐसी वस्तु जो सच में मूल्यवान हो अगर मैं राजा को भेंट कर दूं तो ना जाने राजा कितना बड़ा उपहार देगा।

लिऊज़ी ने अपने जहाज में उत्कृष्ट मूर्तियां और उत्तम चित्र और सबसे बढ़िया वस्त्र भर लिए। जब वह द्वीप पर पहुंचा तो उसने झूठ बोला। उसने राजा के पास संदेश भिजवाया कि वह एंटोनियो का मित्र था।

राजा ने अपने मंत्रियों से बात और कुछ समय बाद में लिऊज़ी को शाही दरबार में बुलाया गया। राजा ने लिऊज़ी से कहा “हमने बहुत चर्चा की। यह बताने में मुझे प्रशना हो रही कि तुम्हें देने के लिए हमने एक उत्तम उपहार चुन लिया है। यह सच में मूल्यवान है, इतना कहकर राजा ने सेवकों को आदेश दिया कि उपहार ले आए।

एक मखमल के कपड़े से ढका हुआ रेशम का एक गद्दा राजा ने लिऊज़ी को भेंट किया। जब लिऊज़ी ने मखमल का कपड़ा उठाया तो वो आवक हो गया। गद्दे पर एक रोयेदार गेंद था। जब गेंद हिला तो लिऊज़ी को समझ आया की वह था एक बिल्ली का बच्चा।

तुम्हारी मित्र ने जो अनमोल बिल्लियां हमें दी थी उन्होंने अभी-अभी बच्चे दिए हैं। क्योंकि तुमने हमें इतनी शानदार उपहार दिए हैं इसलिए अपनी सबसे मूल्यवान वस्तु हम तुम्हें उपहार स्वरूप देना चाहते हैं। लिऊज़ी ने जब राजा के प्रफुल्लित चेहरे को देखा तो उसे एहसास हुआ कि राजा के लिए बिल्ली का छोटा बच्चा इन सारी मूल्यवान वस्तुओं से अधिक मूल्यवान था जो उसने राजा को उपहार में दी थी।

लिऊज़ी समझ गया कि मुस्कुराकर प्रसन्नता से राजा का उपहार स्वीकार करने का नाटक करना ही उचित होगा उसने वैसा ही किया। लिऊज़ी धनवान बन कर घर ना लौटा था परंतु वे अधिक बुद्धिमान अवश्य हो गया था।

आपका दिन शुभ हो!!!!!

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