आज का जीवन मंत्र- सौजन्य से इंदू विजय दहिया

एक गांव में दो फकीर थे। दोनों गांव के पास एक ही झोपड़े में रहते थे। एक दिन गांव में भारी आंधी-तूफान आया। फकीरों का आधा झोपड़ा उड़ गया।
एक फकीर जब भीक्षा लेकर लौटा तो वो टूटे झोंपड़े को देख बहुत दु:खी हुआ। उसने शिकायत की

‘हे! भगवान आपकों हम गरीबों का झोपड़ा ही मिला उड़ाने के लिए। गांव में इतनी आलीशान हवेलियां हैं। और हम तो आपकी इबादत्त भी करते हैं। आपने हमें इबादत्त का ये सिला दिया।’
तभी दूसरा फकीर भी आ गया। उसने झोपड़े का देखा और बहुत खुश हुआ। भगवान को धन्यवाद दिया

‘शुक्र है प्रभू आपने हमारा आधा झोपड़ा बचा लिया। आंधी-तूफान का क्या भरोसा पूरे को उड़ा ले जाते। हम आपकी इबादत्त करते हैं, इसी का ये परिणाम है।’
रात को जब दोनों फकीर झोपड़े में सोए तो पहला रो रहा था। दूसरा गीत लिख रहा था।
दूसरे फकीर ने कहा ‘आधा झोपड़ा बारिश से बचा रहा है और आधे उड़ गए झोपड़े से आसमान दिख रहा है। चांद, तारे, बादल सब बहुत प्यारे लगते हैं। हवा भी बहुत अच्छी लग रही है। पहले पता होता कि रात को आसमान इतना सुंदर होता है तो हम पहले ही झोपड़ा आधा बना लेते। प्रभू आपने हमें आपकी इबादत्त का फल दे दिया।’
सकारात्मक सोच मुसीबत को भी आनंद में बदल देती है।

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