पांच माह से गांव खेड़ी में नहीं पेयजल की आपूर्ति
- तालाबों में भी नहीं रहा पानी
- जमीन के नीचे का पानी भी नहीं पीने के लायक
- परेशान ग्रामीणों ने तोड़े मटके, कहां पानी बिन रहें कैसे?
जलघर के टैंकों में रेत उड़ रही है। तालाबों का पानी सूख चुका है। जमीन का नीचे का पानी पीने लायक नहीं, सो कुएं भी कामयाब नहीं। जलघर में लगे ट्यूबवैल से सप्लाई थी। यह ट्यूबवैल भी खराब हो गया है। भयंकर गर्मी ने दस्तक दे दी है। ग्रामीणों की बेचैनी और परेशानी दोनों की ही बढ़ने लगी तो आखिर किया प्रदर्शन और कहा बिन पानी जीएं कैसे?
यही हकीकत है महम का चौथा पाना कहे जाने वाले गांव खेड़ी की। गांव में पिछले पांच महीनों से जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से पेयजल की आपूर्ति नहीं बताई जा रही। ग्रामीणों ने बुधवार को जलघर में मटका फोड़ प्रदर्शन किया तथा सरकार के विरुद्ध नारेबाजी की। ग्रामीणों का कहना है कि समस्या के समाधान के लिए विभाग तथा विधायक दोनों को ही गुहार लगा चुके हैं। कोई समाधान नहीं हो रहा।
ग्रामीण राजवंती, दर्शनादेवी, पवन व सोमबीर आदि ने बताया कि जलघर में ही माइनर से पानी नहीं आता। जलघर की पूरी व्यवस्था नकारा हो चुकी है। ग्रामीणों को कैंपरों का पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। गरीब ग्रामीण बेहद परेशान हैं। यहां तक तालाबों में मवेशियों के लिए भी पानी नहीं बचा है। समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
हो रहे हैं बीमारियों के शिकार
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जमीन के नीचे का पानी पीने लायक नहीं है। ऐसे में गांव में कुए भी कामयाब नहीं है। मजबूरी कुआंे का पानी पीना व प्रयोग करना पड़ता है। जिससे त्वजा और गुर्दे के रोग बढ़ रहे हैं।
कुछ तो करो
ग्रामीणों का कहना है इन हालातों में सरकार व प्रशासन को अतिशीघ्र कुछ करना चाहिए। कम से कम गांव में प्रतिदिन कुछ टैंकर ही भिजवाए जा सकते हैं। ग्रामीणों को कुछ तो राहत मिलेगी।
बन रही है योजना-जेई
जनस्वास्थ्य विभाग के जेई आकाश हुड्डा का कहना है कि जलघर के लिए नई पेयजल बिछाने के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रूपए की योजना बन चुकी है। शीघ्र की लाइन बिछाने का काम शुरु होगा। जलघर में नया ट्यूबवैल भी लगवाया जा रहा है। इसमें भी कुछ समय लगेगा। विभाग समस्या के समाधान के लिए गंभीर है।
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