पराली को बना रखा है बिछौना

हर तकलीफ सहने को तैयार हैं किसान

टैंट कम पड़ते हैं तो खुले में बीताते हैं रात
ट्रालियों पर बिछी पराली है बिछौना
खूद ही करते हैं करतें मनोरंजन

सिंधू बोर्डर
इस समय चल रहा किसान आंदोलन समूचे भारत को विशेषकर पंजाब व हरियाणा को सीधा प्रभावित कर रहा है। कृषि अध्यादेशों के विरोध में लाखों की संख्या में किसानों ने दिल्ली के पास आकर डेरा लगा लिया है। सर्दी के इस मौसम में वहां आंदोलनकारियों की रातें कैसे बीत रही हैं, यह जानना सबकी उत्सुकता होगी।
महम के गांव निंदाना से गए किसानों के एक दल ने भी शनिवार की रात सिंधू बोर्डर पर बिताई। इस दल में गए युवा नेहरा खाप के अध्यक्ष संदीप नेहरा ने 24c को वहां की स्थिति के बारे में जानकारी दी।

महम के निंदाना गांव के किसानों का दल सिंधू बॉर्डर पर


हरियाणा के किसानों की संख्या बढ़ रही है लगातार
हरियाणा के किसानों की संख्यां किसान आंदोलन में लगातार बढ़ रही है। पहले पंजाब के किसान वहां ज्यादा थे। अब हरियाणा के किसान भी बहुत अधिक मात्रा में वहां पहुंच गए हैं।

खुले आसमान और सर्द रात में सड़क पर सौ रहा है किसान


सड़क पर ही सोते हैं
हालांकि टैंट भी लगे हैं, लेकिन बहुत से किसान खुले में सड़क पर जमीन पर ही सोते हैं। नीचे बिछाने के लिए भी उनके पास कोई सामान्य कपड़ा ही होता है। कठोर सड़क पर भी वे रात काट लेते हैं।

हौंसले डटे से बुजुर्ग भी


पचास से ज्यादा की उम्र की है बहुत
आंदोलनकारियों में अधेड़ तथा बुजुर्गों की संख्या बहुत अधिक है। युवा तथा महिलाएं भी हैं। युवाओं का काम वहां बुजर्गों की सेवा करना तथा खाना आदि परोसाना है।
खाना खुद भी बनाते हैं रसोइए भी हैं
आंदोलनकारी किसान खाना खुद भी बनाते हैं और रसोइए भी हैं। खाने-पीने के सामान की कमी नहीं है। चिकित्सा सुविधाएं अच्छी हैं। हंसी मजाक मनोरंजन भी खूब करते हैं। हरियाणवीं रागनियां खूब गाई जा रही हैं।
गुस्सा भी है और संयम भी
आंदोलनकारी किसानों में सरकार के प्रति गुस्सा तो दिख रहा है, साथ ही संयम भी है। यह संयम बनाए रखने की बार-बार अपील भी की जा रही है। आंदोलनकारियों में से ही स्वयंसेवक जरुरी वस्तुओं के वाहनों तथा एम्बूलेंस आदि को रास्ता देने में मदद करते हैं।

वाहनों की ओट में लगाया है डेरा


समाधान का विश्वास
किसानों को विश्वास है कि सरकार देर सवेर उनकी बात मान लेगी। नौ नवंबर को होने वाली वार्ता पर अधिक आस टिकी है। किसानों का कहना है कि इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा। लेकिन समाधान नहीं होने तक किसानों वहां डटे रहने पर अड़े हुए दिख रहे हैं।
जैसा कि संदीप नेहरा ने बताया (सभी फोटो संदीप नेहरा)

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2 thoughts on “कैसे हैं सिंधू बॉर्डर पर किसानों के हौंसले?-महम के किसान की जुबॉनी”
  1. Vijay Dahiya kai dino se me jo dekh raha hun aap jo meham ki purani yadeyen sanjo kar janta ke pass bhejte ho un ko padh kar dil dubara kush ho jata he hum PUNA is samay karib 2 saal se rah rahe he parantu aap ke news24c dekh kar jaise aap mujhe MEHAM la taza kar dete ho thankyou. Aap ka OM PARKASH SADANA m. n. 9416520137

    1. thankyou Bhai, acha laga aapka comment dekh kr
      yahi maksad h ki aap jaise sathee meham se jude. aap lagatar dekhtey rahe orr bhi kuch nya krne ka paryas krenge. aapke pass kuch nayee jankari ho to batana. aap lagatar guide krtey rahe. 9812015982

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