कालू भंगी, केवट और कुंभकर्ण की भूमिका को भी करते थे जीवंत
लगातार 35 वर्षों से ला रहे था लगातार कावड़, दस बार से ज्यादा गोमूख से लाए कावड़
चारों धामों और सभी शक्ति पीठांे की कर चुके थे यात्रा
फक्कड़, घुम्मकड़ और मस्तमौला मांगेराम को महम बहुत याद करेंगी
महम
एक ऐसा शख्स जो फक्कड़ था, घुमक्कड़ था, ग्रामीण स्तरीय हास्य को ऐसा आयाम दिया था कि रामलीलाओं में उसी के नाम से मैदान भर जाते थे। उसका एक सीन देखने के लिए दर्शक घंटों बैठे रहते थे। हंसते-हसांते, दीवारों को रंगों को सजाते, धामों, शक्तिपीठों की यात्रा करते-करते मस्तमौला मांगेराम आखिर दुनिया को अलविदा कह गया। पिछले कुछ ही दिनों से बीमार थे। घर पर ही इलाज ले रहे थे।
लगभग 65 वर्षीय मांगेराम के निधन से महम ने नाट्य मंचन की एक अद्भूत प्रतिभा को खो दिया है।
20वर्ष की उम्र से जुड़े थे अभिनय
मांगेराम 20 वर्ष की उम्र से अभिनय की दुनिया से जुड़े थे। उनकी पत्नी सावित्री देवी का कहना है कि पहले जब अस्थायी पर्दा लगाकर प्रोजैक्टर के माध्यम से गलियों में फिल्में दिखाई जाती थी, तब से वे इस कार्य से जुड़े हुए थे। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के कई स्थानों पर कई वर्षों तक उन्होंने यह कार्य किया।
रामलीला के आधार स्तंभ थे
महम में एक समय तीन से ज्यादा रामलीलाएं होती थी। मांगेराम को अपनी रामलीला में शामिल करने की होड़ रहती थी। विशेषकर उनके हास्य सीन इतने जबरदस्त होते थे कि उनके नाम से लोग एकत्र होते थें। इसके अतिरिक्त राजा हरिश्चंद्र ने नाटक में कालू भंगी तथा रामलीला में केवल, सुमंत तथा कुंभकर्ण की भूमिकाओं के लिए भी वे जाने जाते थे। उन्होंने ज्यादातर भूमिकाएं आदर्श रामलीला में की हैं।
अत्यंत धार्मिक स्वभाव के थे
उनकी पत्नी ने बताया कि पिछले 35 वर्षों से लगातार कावड लेकर आ रहे थे। दस ज्यादा बार तो वे गोमूख से कावड़ ला चुके थे। इसके अतिक्ति चारों धामों और सभी शक्तिपीठों की यात्रा कर चुके थे।
दीवारों को रंगों से सजाते थे
मांगेराम अपना जीवनयापन रंग पेंट का काम करके करते थे। वे इस हुनर के भी जबरदस्त उस्ताद थे। महम में बहुत से रंग पंेट के कारीगर उनके शार्गिद हैं। मांगेराम अपने पीछे अपनी पत्नी के अतिरिक्त दो बेटों और एक बेटी के परिवार को छोड़कर गए हैं। आदर्श रामलीला की तरफ से उनके निधन पर दुःख प्रकट किया गया है। ललीत गोयल ने कहा है कि रामलीला मंचन के लिए यह एक अपूर्णीय क्षति है। ललित ने बताया कि एक समय ऐसा था कि मांगे राम के बिना रामलीला करने की सोच भी नहीं सकते थे।
24c न्यूज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। 24c न्यूज/ इंदू दहिया
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