चमत्कारी अनाज है मिल्लेट

छोटे दानों वाला अनाज (मिल्लेट) प्राचीन अनाज है जो गेहूं और चावल के लिए हमारी अधिक प्राथमिकता के कारण हमारी थाली से खो गया था। अब भारत में और वैश्विक बाजार में भी मिल्लेट की मांग बढ़ रही है क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण कर सकता है।
क्या आपको पता है?

प्राचीन भारत का मुख्य भोजन चावल नहीं, मिल्लेट था।

*कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स उन्हें एक आदर्श चावल का विकल्प बनाता है, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह (diabetes) और वजन घटाने के लिए बेहतरीन है।मिल्लेट में भरपूर मात्रा में डाइटरी फाइबर होते हैं जो रक्त शर्करा (blood glucose) के स्तर को कम करने में मदद करते हैं और इंसुलिन प्रतिक्रिया में सुधार लाता हैं। फाइबर पाचन की गति को भी नियंत्रण में रखते है, पोषक तत्वों के अवशोषण (absorption में मदद करता है और आपका पेट भरता है, इसलिए आपको बार.बार भूख नहीं लगती है।

*यह पाचन संबंधी विकारों (digestive disorders) के लिए भी बहुत अच्छा है ।
मिल्लेट के प्रकार-
*पर्ल मिल्लेट (बाजरा)
*पर्ल मिल्लेट फास्फोरस में भरपूर है जो कोशिकाओं (cell) को ऊर्जा, और कई अन्य महत्वपूर्ण मिनरल को संचित (store) करने में मदद करता है। अक्सर सर्दियों में पकाया जाता है, पर्ल शरीर को गर्मी प्रधान करता है और ऊर्जा का स्तर (energy levels) को बढ़ाता है।
*फिंगर मिल्लेट (रागी)-
*इसमें कैल्शियम की मात्रा किसी भी अन्य मिल्लेट कि तुलना में सबसे अधिक होती है और यह शुष्क क्षेत्रों में आसानी से उगता है। यह अक्सर एंटी.डायबिटिक अनाज के रूप में जाना जाता हैए इसमें जो भरपूर फाइबर तत्व है वो कब्ज, कोलेस्ट्रॉल और आंतों के लिए अच्छा होता है।
*फॉक्सटेल मिल्लेट (कंगनी)
संभवतः सबसे प्राचीन उगाया गया मिल्लेट, माना जाता है कि यह उत्तरी चीन में उत्पन्न हुआ है,जहां इसे प्रसवोत्तर (postpartum) और पाचन स्वास्थ्य (digestive health) के लिए उपचारिक भोजन माना जाता है। फॉक्सटेल मिल्लेट मिनरल तत्व में, और विशेष रूप से लोहे में भरपूर है।
*लिटल मिल्लेट, (समाई या कुटकी)
*मिल्लेट परिवार का सबसे छोटा, लिटल मिल्लेट भारत भर में उगाया जाता है। इसे पकाना बहुत आसान है और अक्सर इसे चावल के रूप में उपयोग किया जाता है और असल में, कोई भी विधि जिसमें चावल डलते है उसमें इस्तेमाल किया जा सकता है। लोहे तत्व से भरपूर होने के कारणए विशेष रूप से एनीमिया वाले लोगों में बहुत फायदेमंद है।
*सोरघम (ज्वार)
भारत में कई राज्यों में सोरघम की बड़े पैमाने में खेती और खपत की जाती है और ज्वार की रोटियां पचाने में बहुत आसान होती हैं। यह पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्शियमए आइरन और ज़िंक में भरपूर है।
*बार्नयार्ड मिल्लेट (सांवक)
यह सभी मिल्लेट में से उच्चतम फाइबर और लोहे तत्व में भरपूर है। यह बी.कॉम्प्लेक्स विटामिन का एक अच्छा स्रोत है।

*मिल्लेट कैसे खाने चाहिए-

*दिन में 1 बार अवश्य खाएं।

*ॠतु के अनुसार मिल्लेट का चुनाव करें।
गर्मियों में ज्वारए सर्दियों में बाजरा।
रागी, कंगनी,सांवक और कुटकी किसी भी ऋतु में खा सकते हैैं।

*एक बार में एक तरह का मिलेट खाना चाहिए, और कई तरह के अनाज का मिश्रण करने से बचें। आप इनसे उपमा, पोहा, इडली, डोसा, चपाती और कई अन्य रोजाना खाये जाने वाले व्यंजन बना सकते हैं ठीक वैसे ही जैसे आप चावल और गेहूं के साथ बनाते हैं।
*शुरुआत में हफ्ते में एक बार और धीरे धीरे रोजाना एक बार मिल्लेट को अपने आहार में शामिल करें।

डॉ अनु लूथरा
रामगोपाल सामान्य एवं जनाना अस्पताल
महम।

डॉ अनु लूथरा

24c न्यूज केवल इस काॅलम का मंच है, जानकारी ठीक वैसे ही दी जा रही हैं, जैसी डा. अनु लूथरा ने दी।
हर रोज इसी प्रकार एक हेल्थ मंत्र पढ़ने के लिए डाउनलोड करें, 24c न्यूज ऐप, नीचे दिए लिंक से

Download 24C News app: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.haryana.cnews

अपने सुझाव व प्रतिक्रिया काॅमेंटबाॅक्स में जाकर या मो. नम्बर 8053257789 पर दें
इंदु
दहिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *