प्रधान पद के लिए आरक्षण की घोषणा होते ही तेज हो गई गतिविधियां

संभावित प्रत्याशियों ने कर दी तैयारियां शुरु
कोई पार्टी का आशीर्वाद लेने की फिराक में तो कोई निर्दलीय के लिए भी तैयार


इंदु ‘विजय’ दहिया


संशय के बादल छट गए। लगातार तीसरी बार महम की चौधर अनुसूचित जाति के हाथ लग गई है। पालिका प्रधान का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होते ही दावेदार भी सामने आने लगे हैं। वहीं सामान्य वर्ग में प्रधान पद का सपना पाले उम्मीद्वारों के सपने धराशाही हो गए हैं।
हालांकि निवर्तमान योजना में प्रधान पद किसी भी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं था। इसके बावजूद अनुसूचित जाति के फतेह सिंह इस पद पर काबिज होने में कामयाब रहे थे। जबकि इससे पहली योजना में यह पद अनुसचित जाति लिए आरक्षित था। शुरु के लगभग चार साल प्रकाशो देवी इस पद पर विराजमान रही। जबकि आखिर लगभग एक साल जगबीर बहमनी को यह पद मिला।
इस बार प्रधान पद का चुनाव सीधा होगा, इसलिए चर्चा अतिरिक्त है। ड्रा होते ही अंदाजों का दौर शुरु हो गया। प्रत्याशियां में ज्यादा होड़ भाजपा का आशीर्वाद पाने की है। राज्य में भाजपा की सरकार भी है और शहर में मजबूत स्थिति में भी है।

मीना वाल्मीकि

भाजपा के आशीर्वाद पर दावा करने वालों भाजपा की गत छह वर्षों से जिला सचिव मीना वाल्मीकि का नाम काफी चर्चा मंे है। मीना का कहना है कि वे पार्टी की सक्रिय सदस्य हैं। उन्हें विश्वास है कि उन्हें पार्टी का आशीर्वाद मिलेगा। इसके लिए उन्होंने काम करना शुरु कर दिया है। उनका कहना है कि पार्टी हाईकमान के संपर्क में हैं।
भाजपा के दावेदारों में निवर्तमान प्रधान फतेह सिंह का भी नाम है। फतेह सिंह अपनी पत्नी या परिवार से किसी महिला के लिए दावेदारी ठोक सकते हैं। हालांकि फिलहाल फतेह सिंह ने इस संभावना से इंकार किया है। फतेह सिंह का कहना है कि आगे उनकी चुनाव लड़ने की कोई योजना नहीं है। वे अब अपने काम धंधे पर ध्यान देना चाहते हैं। उनके पांच साल अच्छे बीते।

चेतना


इसी कड़ी में रमेश खटीक का नाम भी चर्चा में हैं। रमेश लंबे समय से भाजपा नेता शमसेर खरकड़ा के करीबी हैं। रमेश की पुत्रवधु चेतना एमएससी बाॅयोटेक हैं। रमेश का कहना है कि वे भाजपा के सबसे पुराने कार्यकर्ताओं में से हैं, उन्हें विश्वास है कि उनकी पुत्रवधु को भाजपा का आशीर्वाद मिलेगा। चेतना एक योग्य प्रत्याशी हैं। रमेश खटीक के भाई अमर सिंह पूर्व पार्षद भी रहे हैं। रमेश का कहना है कि चुनाव की तैयारी आरंभ कर दी है।

ज्योति

अन्य प्रत्याशियों में वार्ड 13 के पार्षद बंटी सिंहमार का नाम भी तुरंत चर्चा में आ गया। बंटी भी स्वीकार करते हैं कि उनकी चुनाव की तैयारी है। वे अपनी पत्नी ज्योति को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। फिलहाल उनकी योजना निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने की है। हालांकि पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी के साथ उनके संबंध हैं। वे लगभग तीन साल पहले पार्षद रहते हुए ही खुलकर कांग्रेस पार्टी में आ गए थे। अनुसूचित जाति का होते हुए उन्होंने सामान्य वार्ड से जीत हासिल की थी।
नगरपालिका के पूर्व उपप्रधान जयनारायण दहिया का नाम भी चर्चा में है। हालांकि जयनारायण का कहना है कि सामान्य अनुसूचित जाति के लिए प्रधान पद आरक्षित होता तो वे चुनाव की सोच रहे थे। अब वे खुद या अपने परिवार से किसी महिला को चुनाव लड़वानें के बारे विचार नहीं कर रहे। वे अच्छे प्रत्याशी या पार्टी का जिसे आशीर्वाद देगी, उसका समर्थन करेंगे। जयनारायण दहिया भी कांग्रेस में ही है।
वार्ड तीन के वर्तमान पार्षद रमेश दहिया का नाम भी चर्चा में आ गया। रमेश दहिया अपनी पत्नी को प्रत्याशी बनाना चाहते हैं। रमेश भी कई वर्षों से भाजपा की राजनीति कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। हालांकि अंतिम निर्णय हालातों के अनुसार ही लिया जाएगा।
प्रधान पद के प्रत्याशियों में पूर्व पालिका प्रधान जगबीर बहमनी का नाम भी चर्चा में हैं। हालांकि जगबीर ने भी अपने परिवार की किसी महिला के चुनाव लड़वाने से इंकार किया है। जगबीर का कहना है कि कुछ दिन पहले हुई उनकी भाई की मौत से उनका परिवार उभर नहीं पाया है। वे इस समय चुनाव के बारे में नहीं सोच रहे हैं। जगबीर भी भाजपा में ही ंहैं।
इसके अतिरिक्त भी कुछ नाम चर्चा में हैं। समय के साथ इन नामों के भी उभर कर आने की संभावना है। कुछ नाम ऐसे भी हैं जो प्रत्याशियों के लगभग फाइनल होने का इंतजार करेंगे। अंतिम समय में मैदान में आ सकते हैं।
किसके हाथ में रहेगी चाबी?
एक बड़ा प्रश्न ये है कि पालिका प्रधान के चुनाव की चाबी किस वर्ग के हाथ में रहेगी। प्रधान पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होते ही समीकरणों में बदलाव आ गया है। अब सामान्य वर्ग की बिरादरियों के आपस में मतों में विभाजन की संभावना कम हो गई है। मत विभाजन अनुसूचित जाति के मतों में ही ज्यादा होगा।
ये है अनुमानित जातिगत स्थिति
एक अनुमान के अनुसार महम में 16 हजार से लगभग मतदाता हैं। जिनमें सर्वाधिक संख्या लगभग चार से साढ़े चार हजार पंजाबी मतदाता है। इन मतों पर विशेष रूप से नजर रहेगी। सामान्य वर्ग में इसके बाद जाट बिरादरी के मतदाताओं की संख्या में दो हजार पार होने का अनुमान है। ये मतदाता पंजाबी बिरादरी के जैसे एकजुट तो नहीं दिख रहे, लेकिन किसान आंदोलन के बाद स्थिति में बदलाव आया है। इसके अतिरिक्त बनिया बिरादरी के मत भी एक हजार से आसपास होने का अनुमान है। ब्राह्मण वोट भी महम में अच्छी संख्या में हैं। गत संसदीय चुनावों में इस बिरादरी ने जिस प्रकार चुनाव लड़ा था। उसकी आज भी चर्चा होती है। इस बिरादरी का रूख भी हार-जीत का फैक्टर हो सकता है। पिछड़ा वर्गों मे सैनी, कुम्हार, जांगड़ा, रोहिल्ला, जोगी व नाई बिरादरी की वोटों संख्या भी अच्छी है। इसके अतिरिक्त पिछड़ा वर्गों की अन्य जातियों के मत भी महम में हैं।
अनुसूचित जाति के मतों की स्थिति
अनुसूचित जाति के मतों में सर्वाधिक संख्या चमार जाति के मतों की हैं। इस जाति के मतों की संख्या भी दो हजार पार होने का अनुमान है।। इसके कुछ आसपास ही वाल्मीकि बिरादरी के मतों का अनुमान है। खटीक मतों की संख्या ज्यादा नहीं है। हालांकि इस बिरादरी से एक ही प्रत्याशी के चुनाव लड़ने की संभावना है। जबकि चमार व वाल्मीकि बिरादरी से एक से ज्यादा प्रत्याशी चुनाव में हो सकते हैं। अनुसूचित जाति की अन्य बिरादरियों के मतों की संख्या भी ज्यादा नहीं है। इन बिरादरियों से भी कोई प्रत्याशी सामने आ सकता है। 24c न्यूज /8053257789

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