भगवद्धाम मंदिर में संपन्न हुआ 75वां भक्तिज्ञान सम्मेलन

महम, 20 नवंबर
स्वामी डा. स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि भक्ति सच्ची हो तो अहंकार नहीं हो सकता है। ध्यान के साथ भक्ति भी जरूरी है और भक्ति सत्संग से ही मिल सकती है। स्वामी जी रविवार को महम के भगवद्धाम मंदिर में संपन्न हुए सात दिवसीय भक्ति ज्ञान सम्मलेन के समापन के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि गुरु की महिमा अवर्णनीय है। गुरुदेव जिसकों आश्रय देते हैं वे खुशकिस्मत होते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान संहार भी उद्धार के लिए ही करते हैं। भगवान समदर्शी हैं। उन्होंने भागवद् कथा को सृष्टि की उत्पति से लेकर अंत तक की कथा बताया। कहा कि जो इस कथा का नियम से श्रवण करता है वो भाग्यशाली है। उन्होंने कहा कि प्रीति से कीर्ति मिलती है। प्रीति के बिना कुछ नहीं है। इस वर्ष भक्ति ज्ञान सम्मेलन की हीरक जयंती थी। ऐसे में स्वामी जी ने श्रद्धालुओं से कहा कि वे अपने जीवन को भी हीरे जैसा बनाए।

भक्ति ज्ञान सम्मेलन के समापन के अवसर पर हवन यज्ञ किया गया। सात दिन तक चली श्रीमद्भागवद्कथा का समापन हुआ। समापन के अवसर पर अटूट भंडारा भी हुआ। समापन समारोह का संचालन स्वामी रविंद्रानंद जी ने किया।
इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। (विज्ञप्ति) इंदु दहिया/ 8053257789

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