धैर्य से विचार करने से हर समस्या का समाधान संभव है
कहते हैं एक बार एक राजा अपने वजीर पर नाराज हो गया। राजा ने वजीर को एक मीनार की सबसे ऊपर वाली मंजिल पर कैद कर दिया। वजीर बुद्धिमान था। जाते समय वजीर अपनी पत्नी के कान में एक तरकीब कह गया।
उसकी पत्नी रात को मीनार के पास गई। एक कीड़े की मूछों पर शहद लगाकर उसे मीनार के ऊपर की ओर मुंह करके छोड़ दिया। कीड़े को मूछों में लगे शहद से मीठास की खुशबू आती रही। उसे लगा शहद ऊपर है। वह ऊपर की ओर बढ़ता रहा। कीड़े की पूंछ पर एक रेश्म का धागा बांध दिया गया था।
कीड़ा मीनार की ऊपरी मंजिल तक पहुंच गया। रेशम के धागे के पीछे एक सूतली बंधी थी और सूतली के पीछे एक मोटा रस्सा। वजीर ने धागा खींचा तो उसके साथ उसे सूतली और फिर रस्सा भी मिल गया। जिसके सहारे वो नीचे आ गया और उस राजा के राज्य को छोडक़र कहीं और जाकर शांतिपूर्वक जीवन जीने लगा।
कहानी का अभिप्राय यह है कि मनुष्य को बहुत जल्दी हार नहीं मान लेनी चाहिए। धैर्य से विचार किया जाए तो बड़ी से बड़ी मुसीबत को कोई ना कोई हल निकल जाता है। जिस प्रकार वजीर की मुसीबत का निकल गया।
आपका दिन शुभ हो!!!!!
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