अपने से छोटे के साथ लड़ना भी नहीं चाहिए
एक बार एक शेर बहुत गुस्से में दौड़ा जा रहा था। रास्ते में उसे उसी जंगल का एक वृद्ध शेर मिला।
वृद्ध शेर ने भागते हुए शेर से पूछा, ‘ क्या हुआ! तुम बहुत गुस्से में लग रहे हो।’
उसने कहा, ‘हां! मैं बहुत गुस्से में हूं, मुझे एक गधे ने लड़ने की चुनौती दी है। मैं उस गधे को जिंदा नहीं छोडूंगा।’
वृद्ध शेर ने कहा, ‘शांत हो जाओ! इस लड़ाई में गधा जिंदा रहे या मर जाए, हारोगे तुम ही।’
‘वह गधा है और तुम शेर। तुम जीत भी गए तो जंगल के जानवर, यही कहेंगे कि शेर गधे से लड़ रहा है।’
गधा हार भी गया तो जानवर उसकी वाहवाही करेंगे, कहेंगे कि
‘वाह! क्या हौंसला है। गधा होकर शेर से लड़ा है।’
और भगवान ना करे! तुम हार जाओ तो तुम्हारी बहुत अधिक बदनामी होगी!
जानवर कहेंगे कि शेर गधे से हार गया। फिर तुम जंगल मे राज नहीं कर पाओगे।
इसलिए तुम्हारी भलाई इसमें है कि तुम चुपचाप वापिस लौट जाओ।
‘लड़ाई भी बराबर या अपने से ऊपर वाले के साथ ही करनी चाहिए।’
‘अपने से छोटे के साथ लड़ने वाला जीतने के बाद भी हार ही जाता है, क्योंकि इस लड़ाई में चर्चा जीत की नहीं हारने वाले के हौंसले की होती है।’
आपका दिन शुभ हो!!!!!
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