महादेवी वर्मा की सीख

मनुष्य का जीवन इतना एकांगी नहीं है कि उसे हम केवल अर्थ, केवल काम या ऐसी ही किसी एक कसौटी पर परख कर संपूर्ण रूप से खरा या खोटा कह सकें।

कपटी-से-कपटी लुटेरा भी अपने साथियों के साथ कितना सच्चा है, उसे देखकर महान सत्यवादी भी लज्जित हो सकता है। कठोर-से-कठोर अत्याचारी भी अपनी संतान के प्रति इतना कोमल है कि कोई भी भावुक उसकी तुलना में नहीं ठहरेगा.

बार-बार नदी में डुबकी लगाने वाला मकोड़ा भी हर बार पत्ते पर शरण लेने के लिए संघर्ष करता रहता है, वह अपनी आशा को सफलता पाने या मृत्यु तक नहीं तजता।

आशा और आत्मविश्वास ही वे वस्तुएं हैं, जो हमारी आत्मिक शक्तियों को जगाती हैं और सृजनात्मक शक्ति को बढ़ाती हैं। आशा के अभाव में सारा संसार ही निराशामय दिखायी पड़ता है।

आपका दिन शुभ हो!

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