32 साल पहले मुरंड को झील बनाने की थी योजना
24सी न्यूज, महम
महम में एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किए जाने की तमाम संभावनाएं हैं। यहां कई ऐतिहासिक व पुरास्थल हैं। जिनकों विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। दिल्ली के नजदीक और मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर होना इस इलाके के पर्यटन के लिए अतिरिक्त उपयोगी है।
महम के ऐतिहासिक चबूतरे के पास एक ऐतिहासिक तालाब भी होता था। जिसका नाम मुरंड था। 1987 में जब चौ. देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। तब वे लगातार तीसरी बार महम से ही चुनाव जीते कर विधायक बने थे। जिनमें से एक बार उपचुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की थी।
ये थी योजना
उस समय चबूतरे तथा आपपास के स्थल को पर्यटन स्थल बनाने की योजना बनाई गई थी। योजना के अनुसार तालाब को झील के रूप में विकसित किया जाना था। जूई फीडर से नहरी पानी की व्यवस्था की गई थी। यहां उस समय की दुनिया की आधुनिक लाइटें लगाने की व्यवस्था थी। झील बन रही थी, तो साफ है कि नाव भी चलाई जानी थी।
पर्यटन की योजना के चलते ही यहां पर्यटन विभाग ने नौरंग रेस्टोरेंट स्थापित किया था। नजदीक ही हिरण पार्क की स्थापना की गई थी। प्रस्तावित झील और हिरण पार्क के बीच किसान हवेली बनाई गई थी। यहां स्थित चबूतरा पहले ही अपना एक विशेष ऐतिहासिक महत्व रखता है।

सैयद गुलाम हुसैन ‘महमी’ के राग में है मुरंड का जिक्र
महम एक हुए एक सूफी संत सैयद गुलाम हुसैन ‘महमी’ की पुस्तकों में मुरंड तालाब का जिक्र है। गुलाम हुसैन महमी का जन्म 1764 में हुआ था और 1829 में उनका देहांत हो गया था। उनके एक राग में इस तालाब का जिक्र आता है। यह बहुत ही सुंदर तालाब था। इस पर सुंदर घाट बने थे। जिनमें जनाना घाट भी था। समय के साथ पोडिय़ां और घाट नष्ट होने लगे हैं। इनके रखरखाव की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
अब ये है स्थिति
चबूतरे का तो समय-समय पर सौंदर्यकरण होता रहता है, लेकिन नौरंग रेस्टोरैंट बंद हो चुका है। झील बन तो गई थी, लेकिन ना पानी आया, ना नाव चली। लाइंटें भी नहीं लग पाई थी। हिरण पार्क भी बंद हो चुका है। हवेली रेस्टोरैन्ट अब भारतीय खेल प्राधिकरण के पास है। इस इलाके में एक नया सुंदर पार्क जरुर बना है। महम के नागरिकों कहना है कि महम में एक उपयोगी पर्यटक स्थल बनने की संभावनाएं हैं। इस दिशा में सरकारों व प्रशासन को कार्य करना चाहिए।
