फ़क़ीर ज़ुशु का जीवनसूत्र

एक प्रसिद्ध फ़क़ीर हुए हैं ज़ुशु। उनके एक शिष्य ने उनसे पूछा कि जीवन जीने का सबसे अच्छा सूत्र क्या है?
फ़क़ीर ने शिष्य से कहा कि जाओ फलां सराय के मालिक के पास एक पूरा दिन और रात लगा कर आओ, तुम्हे जीवनसूत्र मिल जाएगा।
शिष्य उस सराय में गया। देखा कि वह एक साधारण सराय है। उसका मालिक दिन भर अपने काम मे लगा रहा। पूरी तन्मयता से वह सराय के सभी काम कर रहा था।

शिष्य बस दिन भर उसे देखता रहा। उसे उस व्यक्ति से सीखने जैसा कुछ नहीं लगा।
शाम हो गई अपने काम निपटा कर सराय के मालिक ने भी भोजन किया और बर्तन साफ किए। फिर सो गया।
शिष्य को अब भी सराय मालिक से सीखने जैसा कुछ नहीं मिला।
सुबह जब वह वापिस लौटने लगा तो उसने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं रात को उसने ऐसा कुछ किया हो, जिसमे जीवन सूत्र छिपा हो।

शिष्य ने सराय मालिक से पूछा कि रात को और सुबह उठते ही आपने क्या किया?
सराय मालिक ने कहा कि कुछ नही किया। कल दिन का आखिरी भोजन करते ही बर्तन साफ कर दिए। फिर रात भर चैन से सोया। सुबह फिर बर्तन साफ कर दिए कही रात को कोई धूल मिट्टी आ गई हो तो साफ हो गई।
शिष्य को अब भी कुछ समझ नहीं आया।
वह अपने गुरु के पास गया और कहा कि उसे कुछ समझ नहीं आया।
वह सराय वाला दिन भर काम करता रहा। रात को आखिरी भोजन किया और बर्तन साफ किए। फिर सो गया। सुबह फिर बर्तनों की धूल पोंछ दी। बस इसमें क्या सूत्र है?
फ़कीर ने कहा कि यही तो सूत्र है।
आखिरी भोजन करो और बर्तन साफ कर दो। धूल आ जाए तो सुबह साफ कर दो।
भोजन सांसरिक माया है। दिन भर उसमें भटकते हैं। रात को आखिरी भोजन के साथ ही उसे छोड़ दो। बर्तनों को साफ कर दो अर्थात अपने हृदय को शुद्ध कर लो और सो जाओ।

रात को फिर कोई दुर्विचार आ जाए तो सुबह झाड़ दो।
शिष्य जीवनसूत्र समझ गया।

ओशो प्रवचन

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