अचानक एक हंसता खेलता परिवार फंस गया कोरोना जाल में
खुद को जोखिम में डाल कर अपनों को बचाने के लिए भागता रहा पार्षद
कुछ ने मदद की, तो कुछ ने किया किनारा भी
’हिम्मत से हारेगा कोरोना’ 24c न्यूज विशेष
महम
कोरोना की दूसरी लहर वापिस जाती दिख रही है। पता नही हमेशा के लिए या तीसरी में तबदील होकर वापिस आने के लिए। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन विशेषकर दूसरी लहर ने ऐसी तबाही मचाई कि वर्षों तक इसे भुलाना मुश्किल होगा। दूसरी लहर में अधिकतर लोगों ने अपने किसी प्रिय या जानकार को खोया है। फिर भी मानव लड़ता रहा अंतिम सांस तक जिंदगी से और उसके अपने लड़ते रहे उसकी अंतिम सांस तक जिंदगी बचाने के लिए।
24c न्यूज आज आपके सामने एक ऐसे परिवार की हकीकत प्रस्तुत कर रहा है जो लगभग 50 दिन तक भय और असंमजस के साए में जीता रहा।
कोरोना के कारण जिसे अपना घर भी बदलना पड़ा। घर के मुखिया सहित तीन नजदीकियों को खोना पड़ा। ये हकीकत है महम के एक प्रतिष्ठित तथा चर्चित निवर्तमान पार्षद मनोज उर्फ शंपी तागरा के परिवार की।
सबसे पहले पिता को खोया
शंपी बताते हैं कि 21 अप्रैल को उनकेे पिता जगदीश लाल तागरा की रोहतक के एक निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। बाद में रिपोर्ट आई थी कि वे कोेरोना पोजीटिव थे। हालांकि उन्होंने पहले से ही सावधानी रखते हुए रात को ही सीधे श्मशानघाट ले जाकर उनका अंतिम संस्कार किया था। शंपी बताते हैं कि तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें रेडमीसीवर दवा नहीं मिली। एक आक्सीजन सिलेंडर गाजियाबाद से लेकर आना पड़ा। शंपी ने बताया कि उनकी छोटी बहन शालू और उनके बहनोई अमेरिका रहते हैं। वे कई दिनों के बाद 24 मार्च को भारत आए थे। तभी वे महम भी आए। 21 दिन तक भारत रहने के बाद वे अमेरिका लौट गए। वे भी कुछ दिन के लिए दिल्ली चले गए थे। दिल्ली में उनके बहनोई की विधवा मां और विधवा बहन दो बच्चों के साथ अकेले रहते थे। यहीं उन्हें उनके पिता के संक्रमित होने का पता चला था।
अब पत्नी हो गई संक्रमित
शंपी ने बताया कि अब पिता के क्रियाक्रम भी ठीक से पूरे नहीं कर पाए थे कि पत्नी भी संक्रमित हो गई। किसी अस्पताल में कोई जगह नहीं थी। ना ही आक्सीजन थी। पिता को भी आक्सीजन की कमी के कारण रोहतक में एक अन्य अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा था। आखिर पत्नी को मजबूरन घर मे रखकर ही इलाज करवाना पड़ा।
बहन की सास व ननद की बिगड़ गई तबीयत
इसी बीच उनके बहन की सास राज रानी व ननद चीनों की तबीयत भी बिगड़ गई। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं थी। दोनों कोरोना पोजीटिव थे। बहनोई से सलाह करके उन्हें भिवानी लाया गया। महम के ही पार्षद धर्मबीर की मदद से दो आक्सीजन गैंस सिलेंडरों का प्रबंध किया गयां। भिवानी में दोनों की तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी। डाक्टर डेढ़ लाख प्रतिदिन से तीन लाख प्रतिदिन का बिल वसूलने की कहने लगे। फिर भी कहा कि बचने की गारंटी नहीं। शंपी बताते हैं कि उन्होंने दोनों को सिरसा के एक निजी अस्पताल में ले जाने का निर्णय लिया गया।
अस्पताल के गेट के सामने एक ने तोड़ा दम
शंपी बताते हैं कि दोनों संक्रमितों की वे खुद ही देखभाल कर रहे थे। वे स्वयं ही उन्हें सिरसा लेकर गए। आक्सीजन सिलेंडर भी लिए। सिरसा के अस्पताल के गेट पर पहुंचते ही चिनों ने दम तोड़ दिया। पूरी रात उसका शव एंबूलैंस में ही रहा। सुबह सिरसा मंे उसका अंतिम संस्कार किया।
चार दिन बाद राजरानी ने भी दम तोड़ दिया
चार दिन बाद शंपी की बहन की सास राजरानी ने भी दम तोड़ दिया। उनका आक्सीजन लेवल कम हो गया था। इस बीच अन्य रिश्तेदारों की तरफ से लगातार सहायता के लिए फोन आने लगे, क्योंकि वो पार्षद था, इसलिए उससे उम्मीद ज्यादा की जा रही थी। वो हरसंभव मदद करते भी रहे। लगातार मौतों की भी खबर आने लगी।

फोन उठाते हुए भी हाथ कांपते थे
शंपी ने बताया कि हालात ये हो गई थी कि फोन की घंटी बजते ही हाथ कांपने लग जाते थे। इसी बीच महम में भी उसके घर के आसपास करोना भयंकर रूप फैलने लगा था। हर घर में कोरोना संक्रमित थे। पूर्व ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा का घर भी उसके सामने ही है। जो कोरोना संक्रमित हो गए थे। और बाद में मौत से हार गए थे। शंपी का कहना है कि भगवान करे ऐसा वक्त किसी को ना देखना पड़े। साथ ही कहते हैं कि किसी भी परिस्थिति में हौंसला ना छोड़ें। बहुत से अच्छे लोग भी हैं जो तुरंत मदद को आगे आते हैं। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ। अब वक्त बीत चुका है और जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है।
(जैसा की शंपी तागरा ने 24c न्यूज को बताया) 24c न्यूज/ इंदु दहिया 805325778
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