खरकड़ा और बहलम्बा को बचाया था महामारी से

24सी न्यूज, कपिल कुमार

श्रृद्धा और विश्वास का दूसरा नाम ही भगवान है। ऐसा ही कुछ 300 साल पहले गांव खरकड़ा में हुआ। गांव के आसपास काफी घना जंगल था और ग्रामीणों ने देखा कि वहां से हर रोज धुंआ निकल रहा है। लोगों ने जब वहां जाकर देखा तो एक तपस्वी बाबा धूना जलाकर ध्यानमग्न थे। गांव वालों ने बाबा से पूछा कि तपस्वी महाराज आप कौन हैं तो उन्होंने अपना नाम सावत नाथ बताया जिसके बाद गांव वाले बाबा को स्योत नाथ कहने लगे तब से लेकर आज तक खरकड़ा मंदिर को स्योत नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

पूर्व सरपंच कृष्ण, सरपंच टेकराम आर्य, बल्ला, नरेश, सूबे, संजय, रामकुवार, लीलू ने बताया कि एक बार बहुत भयानक बीमारी आई जिसने पूरे हरियाणा में महामारी का रूपधारण कर लिया। खरकड़ा गांव के लोग परेशान होकर बाबा स्योत नाथ के पास पहुंचे और कहा कि  महाराज इस बीमारी से बचने का कोई उपचार बताएं।

स्योत नाथ बाबा ने गांव वालों को विश्वाश दिलाया कि खरकड़ा गांव में ये महामारी नहीं आएगी।
बहलम्बा के लोगों ने भी बाबा जी को महामारी से बचने की गुहार लगाई।बाबा स्योत नाथ ने कहा कि मैं बहलम्बा नहीं जा सकता क्योंकि अगर मैं बहलम्बा गया तो नेत्रहीन हो जाऊंगा। लेकिन खरकड़ा गांव वालों ने कहा कि बहलम्बा खरकड़ा का बड़ा भाई है तो बाबा स्योत नाथ बहलम्बा की तरफ चल पड़े खरकड़ा और बहलम्बा की सीमा पर जाकर अपना ध्यान लगाया। ऐसा कहा जाता है कि बहलम्बा में भी इस महामारी का असर नहीं हुआ लेकिन बाबा जी नेत्र हीन हो गए यह देखकर खरकड़ा वाले नतमस्तक हो गए और बाबा को फिर गांव में ले आये तब से लेकर आज तक गांव के लोग स्योत नाथ बाबा में अपार आस्था रखते हैं।

बाबा स्योत नाथ के बाद मंदिर की गद्दी पर ये महात्मा हुए विराजमान।

सचेतनाथ

तेजा नाथ 

राजा नाथ

राजनाथ

धन्नी नाथ

खुजान नाथ

लाल नाथ

छोटू नाथ

वीर नाथ

2012 से बाबा कैलाश नाथ


हर साल लगता है भंडारा

बाबा कैलाश नाथ ने बताया कि स्योत नाथ मंदिर में महात्माओं की समाधि बनी हुई है और बाबा स्योत नाथ ने जिस पेड़ के नीचे तपस्या की थी उस पेड़ का नाम है ह्रिस जो ही आज इस मंदिर में लगाया हुआ है। उन्होंने बताया कि बाबा जी की याद में हर साल मंदिर में भंडारा लगाया जाता है।

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