श्री भगवद धाम मंदिर में चल रहे ‘भक्ति ज्ञान यज्ञ’ तथा श्री ‘राम कथा यज्ञ’ में पांचवें दिन सीता स्वयंवर की कथा हुई
- श्रीराम व उनके भाइयों की बारात की सुंदर झांकियां निकाली गई
श्री श्री 108 महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी विवेकानंद जी के शिष्य स्वामी रविंद्रा नंद जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि जिसकी निष्ठा अपने गुरु तथा श्री राम के प्रति हो जाती है वह भवसागर पार हो जाता है।
गुरु के प्रति निष्ठा रखने वाले का मन कभी नहीं डोलता।
यदि हमारा मन मन हमारे वश में ना रहे तो हमें गुरु के चरणों में अपना ध्यान लगाना चाहिए तथा उन्हीं से फरियाद करनी चाहिए।
कथावाचक पंडित श्री प्रल्हाद मिश्रा जी ने कथा वाचन के दौरान कहा कि जैसी हमारी भावना होती है हमें वैसा ही दिखाई देता है।
उन्होंने बताया कि सीता स्वयंवर में जो धनुष था वह भगवान शिव का था। धनुष इतना कठोर और वजनी था कि उसे रावण और बाणासुर जैसे योद्धा भी हिला तक नहीं पाए।
श्री राम जी ने उस धनुष को फूल की भांति उठा लिया।
पंडित जी ने धनुष को आत्मा और श्री राम को परमात्मा बताते हुए कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन तभी होता है जब गुरु बीच में आते हैं।
श्री राम- परशुराम संवाद का जिक्र करते हुए पंडित जी ने कहा कि व्यक्ति को कभी भी कड़वा नहीं बोलना चाहिए।
गलती से कोई कड़वा बोल देता है तो उसे माफी भी मांगनी चाहिए।
कथा के दौरान अति सुंदर प्रसंगों का जिक्र किया गया। साथी श्रद्धालुओं ने कथा तथा झांकियों का खूब आनंद लिया।
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