जो कल होना है वो आज ही क्यों ना हो जाए!

कहानी चीनी फ़कीर च्वांग तफे से ही जुड़ी है। कहते हैं एक बार च्वांग तफे देरशाम से किसी मरघट से गुजर रहा थे। उसके साथ उसके शिष्य भी थे। च्वांग तफे का पैर अचानक एक खोपड़ी से टकरा गया। तफे ने उस खोपड़ी को उठाया और उससे कई बार माफी मांगी।
शिष्यों ने कहा कि ये तो केवल खोपड़ी है। ये भला क्या माफ करेंगी। इसमें जीवन ही नहीं है।
तफे ने कहा कि कुछ दिनों का ही तो फर्क है। कुछ दिन पहले तक ये खोपड़ी भी जिंदा थी। ये भी हमारी खोपड़ी की तरह थी।
और कुछ दिन बाद हम भी इस खोपड़ी की तरह हो जाएंगे। तो माफी तो बनती है।
इतना ही नहीं तफे उस खोपड़ी कोे अपने साथ ले गए। हर वक्त साथ रखते। उससे बीच-बीच में माफी मांगते।
कहते हैं उस खोपड़ी के साथ-साथ रहते-रहते तफे भी खुद को एक खोपड़ी ही समझने लगे।
उससे शिष्यों ने पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हो? खुद को खोपड़ी क्यों समझने लगे हो?
तफे ने कहा कि जो कल होना है, क्यों ना वो आज ही हुआ जाए?
जो कल होना है वह आज हो जाए तो कल जब जो होगा उससे कोई तकलीफ नहीं होगी। (आशो प्रवचन)

आपका दिन शुभ हो!!!!!

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