महामारी का दिख रहा है बाजारों पर असर, कम रह सकती है बिक्री
नहीं आए नए आइटम, पिछले सालों के मुकाबले कम मिला है सामान
आधी के आसपास ही बिक्री होने की दिख रही है संभावना
दुकानदार संशय में
24 सी बाजार
त्यौहारों के सीजन में बाजारों की रौनक और सजावज देखते ही बनती थी। इस बार ऐसा नहीं दिख रहा। बाजारों में कुछ ग्राहक आने तो लगे हैं, लेकिन महामारी का असर साफ दिख रहा है। खरीददारी पिछले सालों के मुकाबले बहुत कम है। दुकानदार संशय में हैं।
दुकानदार का कहना है कि इन दिनों बाजारों में बिक्री साल में सबसे ज्यादा होती थी। शादियों और त्यौहारों का एक साथ मौसम होता है। दुकानदार इस सीजन के लिए तैयारियां भी विशेष रूप से करते थे। अतिरिक्त सामान दुकान में लाते थे।
नहीं हैं ग्राहक
ब्यूटी पार्लर मंजू रानी का कहना है कि वे त्यौहारों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त सामान ले आए, लेकिन ग्राहक अपेक्षा से बहुत कम हैं। करवाचौथ और अहोई का व्रत नजदीक आ चुके हैं। इन दिनों दुकानों पर भारी भीड़ लग जाती थी, लेकिन इस बार बहुत कम ग्राहक आ रहे हैं।
ना सामान मिला, ना लाने की हिम्मत की
क्रोकरी, सजावट तथा गिफ्ट आइटम रखने वाले दुकानदार अंकुश अग्रवाल ने बताया कि इस बार वे गत वर्षों के मुकाबले त्यौहारों के सीजन के लिए केवल 25 प्रतिशत सामान ही लेकर आए हैं। इस बार बिक्री की संभावना ज्यादा नहीं दिख रही। इन दिनों में नई वैरायटी भी आती थी। ग्राहक पूछते थे कि नया क्या आया है, लेकिन इस बार उन्हें ज्यादा नई वैरायटी मिली ही नहीं। लॉकडाउन के चलते फैक्ट्रियों में सामान कम बना।
रौनक बढ़ेगी
कपड़ा व्यापारी अजय सिंगला का कहना है कि महम का बाजार गांवों पर निर्भर है और गांव खेती पर निर्भर हैं। किसानों को फसल का पैसा मिलेगा तो रौनक बढ़ेगी। हालांकि पिछले सालों के मुकाबले कम ही रहने की संभावना है।
मिठाई विक्रेता रामनिवास सैनी का कहना है कि खेती की स्थिति भी इस बार ज्यादा अच्छी नहीं है। ऐसे में बाजारों में बिक्री का अपेक्षित स्तर पर बढ़ना मुश्किल ही है। उनका कहना है मिठाई की बिक्री भी इस बार आधी के आसपास ही रहने की संभावना लग रही है।
गारमेन्टस विक्रेता प्रवीण खत्री का कहना है कि दशहरा का त्यौहार भी अपेक्षित नहीं रहा। हालांकि दिनों-दिन बाजारों की स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है, लेकिन त्यौहारों का यह सीजन तो फीका ही रहने की संभावना है।