आज का जीवनमंत्र

सौजन्य से इंदू विजय दहिया

बात कुछ पुराने जमाने की है। एक गांव के बाहर एक वृद्ध बाबा बैठा था। उसी समय एक घुड़सवार आया और वृद्ध बाबा से पूछा ‘बाबा इस गांव के लोग कैसे हैं। मैं यहां बसना चाहता हूं।’
बाबा ने पूछा ‘जिस गांव से तुम आए हो उस गांव के लोग कैसे हैं।’
घुड़सवार ने कहा ‘वहां के लोग बहुत बुरे हैं, तभी तो मैं वो गांव छोड़ कर आया हूं।’
बाबा ने कहा ‘मैं दोनों गांवों के लोगों को जानता हूं। इस गांव के लोग उस गांव के लोगों से ज्यादा बुरे हैं। आप कहीं और जाकर बसना।’
तभी वहां एक बैलगाड़ी आकर रुकी। उसमें भी एक परिवार था। इस परिवार के मुखिया ने बाबा से पूछा ‘बाबा इस गांव के लोग कैसे हैं। हम यहां बसना चाहते हैं।’
बाबा ने उनसे भी वही सवाल पूछा-‘जिस गांव से आप आएं है, उस गांव के लोग कैसे हैं।’
बैलगाड़ी वाले ने कहा-‘बाबा उस गांव के लोग बहुत अच्छे हैं। वो तो किसी कारण से हमें वो गांव बदलना पड़ रहा है, लेकिन हम वो गांव बदलना बिल्कुल नहीं चाहते थे।’
बाबा ने कहा ‘तो आइए-इस गांव में आपका स्वागत है। इस गांव के लोग उस गांव से भी अच्छे हैं।’
घुड़सवार हैरान था।
बाबा ने कहा ‘व्यक्ति खुद अच्छा होता है, तभी उसे दूसरे भी अच्छे दिखाई देते हैं।’
ओशो प्रवचन

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