परशुराम की भूमिका में वेदप्रकाश धवन

समर्पित निर्देशक भी हैं वेदप्रकाश धवन

लगभग सभी रामलीलाओं में निभाई हैं भूमिका
24सी न्यूज, रामलीला कलाकार विशेष

कुछ कलाकार स्वभाव और कद काठी से भी किसी भूमिका में फिट बैठते हैं। अभिनय क्षमता भी अच्छी हो तो उस भूमिका को खास ऊंचाई मिल जाती है। बेशक भूमिका किसी एक दिन या एक सीन के लिए हो, लेकिन ऐसे कलाकार दर्शकों में छाप छोड़ देते हैं। ऐसे ही रामलीला को समर्पित कलाकार हैं वेदप्रकाश धवन।
1965 में वानर सेना में शामिल हुए धवन ने बाद में परशुराम, मेघनाथ तथा अंगद की भूमिकाएं मुख्यरूप से निभाई। गीताभवन रामलीला से शुरु किया रामलीला अभिनय पंचायती रामलीला से होता हुआ अब भी सनातन धर्म रामलीला के निर्देशक के रूप में जारी है।
ऐसे निभाई थी पहली बार परशुराम की भूमिका
गीताभवन रामलीला बंद हो चुकी थी। एक दिन वे पंचायती रामलीला में संगीत सहायकों के साथ ऐसे बैठे थे। परशुराम की भूमिका निभाने वाले कलाकार की तबियत ज्यादा खराब हो गई। वह कलाकार मंच पर आने में असमर्थ था। पंचायती रामलीला के तात्कालीन प्रधान ने उन्हें परशुराम की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। जबकि उन्हें ना ही कभी इस भूमिका की रिहर्सल की थी और ना ही कभी यह भूमिका निभाई थी।
वेदप्रकाश बताते हैं कि पंचायती रामलीला में परशुराम का प्रवेश दर्शकों की तरफ से होता था। कलाकार सामने बजरंग टेलटीवाले के घर जाकर बैठ जाता था और दर्शकों के बीच से होता हुआ मंच पर आता था। वह बजरंग के घर जाकर ड्रेसअप हो गया और परशुराम के संवाद अपने साथ ले गया। उनकी प्रार्थना पर रामलीला में भी उनसे पहले वाले सीन को थोड़ा लंबा खींचा गया। और उसने आकर पहली बार ये भूमिका निभाई और उसे पसंद भी किया गया। उसके बाद से ये भूमिका उनकी ही होकर रह गई।

अंगद की भूमिका में वेदप्रकाश धवन

योग्यता के अनुसार देते हैं भूमिका
वेदप्रकाश निर्देशक के रूप में कलाकारों में अति सम्मानित हैं। वे कलाकारों को सिफारिश के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर ही भूमिका देते हैं। उनके निर्देशन में कई नए कलाकार उभरे हैं। इस वर्ष रामलीला होती तो निर्देशन का इरादा अब भी था, हालांकि वेदप्रकाश धवन अब अपने साथ सहनिर्देशक भी रखने लगे हैं।

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