अभिनेता के साथ गायक व वादक भी हैं हंसराज गेरा
महम का नत्था सिंह कहा जाता है ‘गेरा’ को
24सी न्यूज- विशेष रामलीला कलाकार
कुछ लोग अभिनेता नहीं होते हुए भी कुछ भूमिकाओं को ऐसे सार्थक करते हैं कि जैसे वो भूमिकाएं उन्हीं के लिए बनी हों। फिल्मी और मंच की दुनिया में आपको अनेकों ऐसी भूमिकाएं व कलाकार मिल जाएंगे। एक ऐसे की एक कलाकार हैं, हंसराज गेरा।
जो मूलत: पहलवान थे, लेकिन धार्मिक स्वभाव के चलते जब उन्हें रामलीला में हनुमान की भूमिका दी गई तो उनकी भूमिका को खूब पसंद किया जाने लगा। गेरा ने दशरथ व केवट की भूमिकाएं भी निभाई हैं। 66 वर्षीय हंसराज ने वर्ष दो हजार पांच में अंतिम बार रामलीला में भूमिका निभाई थी। उन्होंने आदर्श व गीता भवन रामलीला में भूमिकाएं की हैं।
ऐसे सुधार लिया सीन
गेरा बताते हैं एक बार उन्हें श्री राम व लक्ष्मण को कंधे पर उठाना था। इस सीन के लिए पहले रिहर्सल नहीं हुई थी। उनकी साटन की चिकनी पोशाक थी। जब वो उठने लगे राम की भूमिका निभा रहे कलाकार फिसल कर नीचे गिर गए, लेकिन उन्होंने तुरंत इस तरह से पोजिशन ली की राम ने उनके घुटने पर पैर रखा और कंधे पर चले गए। दर्शकों को लगा यह सीन का ही भाग था। दर्शकों को सीन में कुछ गलत होना नहीं दिखा।
पूर्ण ब्रह्मचर्य व हनुमान चालीसा पढ़ते थे
गेरा ने बताया कि जिन दिनों वे रामलीला में हनुमान की भूमिका निभाते थे, तो जमीन पर सोते और पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते। भूमिका निभाने से जाने से पहले नहा-धो कर हनुमान चालीसा का पाठ करते।
‘खाऊंगी’ नहीं ‘खाऊंगा’ बोला ताड़का के चरित्र में
गेरा ने सबसे पहले 1972 में ताड़का राक्षसी की भूमिका निभाई थी। तब भक्त रामकुमार जी ने उन्हें यह भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया था। राक्षसी के कपड़े पहने कर उन्हें खाऊंगी-खाऊंगी करना था। लेकिन उनके मुंह से ‘खाऊंगी’ की बजाय ‘खाऊंगा’ निकल रहा था। तब दर्शक खूब हंसे थे।
नत्था सिंह के भजनों गाते हैं
भक्त नत्था सिंह के भजनों को हंसराज गेरा विशेष रूप से गाते हैं। उन्हें महम का नत्था सिंह कहा जाता है। सत्संग, कीर्तन और सुख दु:ख के आयोजनों पर गेरा हारमोनियम और ढ़ोलक खुद बजाते हुए भक्तिगीतों को बड़े चाव से गाते हैं। इसके अतिरिक्त वे योग क्रियाएं भी करते हैं। पानी पर समाधि लगाकर लेट जाते हैं।