किसान अपनाएं वर्टिकल फार्मिंग
- उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने दी जानकारी
- बेहद लाभकारी है वर्टिकल फार्मिंग
- पद्घति को अपनाने वाले किसानों को मिलेगा अनुदान
- वर्टिकल फार्मिंग में मुनाफे के साथ पानी की होगी बचत
- बेल वाली सब्जियों के लिए मौजूदा समय उपयुक्त
उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने किसानों से लंबवत खेती (वर्टिकल फार्मिंग) अपनाने का आह्वान करते हुए कहा है कि सब्जियों की कास्त में लंबवत खेती बेहद लाभकारी है। उन्होंने कहा कि इस पद्धति को अपनाने वाले किसानों को सरकार द्वारा योजना के तहत अनुदान देने का भी प्रावधान किया गया है।
होगा अधिक मुनाफा
कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि इस खेती से जहां किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं, वही पानी की भी बचत की जा सकती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि आगामी खरीफ सीजन में धान की बजाए लंबवत खेती करके प्रकृति के अनमोल रत्न पानी को बचाने में अपना योगदान दें।
बेल वाली सब्जियों के लिए उपयुक्त समय
उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने बताया कि यह खेती बांस-तार के साथ बेल वाली सब्जियों के उत्पादन के लिए की जाती है। यह बेहद फायदेमंद तकनीक है। इस विधि को अपनाकर किसान बेल वाली सब्जी जैसे लौकी, तोरी, करेला, खीरा, खरबूजा, तरबूज व टमाटर आदि का उत्पादन करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि बेल वाली सब्जी आमतौर पर खेत में सीधी लगाते हैं, जिससे एक समय के बाद इनका उत्पादन कम हो जाता है। इसके साथ-साथ कई प्रकार की बीमारी एवं कीट आदि भी लग जाते हैं। परिणाम स्वरूप उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है।
ऐसे करें वर्टिकल फार्मिंग
कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि यदि किसान बेल वाली सब्जियों को बांस-तार विधि पर लेते हैं तो कम क्षेत्र में ज्यादा संख्या में पौधे लगाए जा सकते हैं और बीमारी व कीटों पर आने वाले खर्च को बचाकर अधिक मुनाफा लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस विधि को अपनाकर बेल वाली फसलें जैसे लौकी, तोरी व करेला आदि को मैदान न फैला कर बांस-तार पर चलाया जाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता एवं मात्रा दोनों बढ़ जाती है। इस विधि में किसान को एक एकड़ में 60 एमएम आकार के 560 बॉस 4X2 मीटर क्षेत्र में लगाने होते हैं, जिसमें बांस की ऊंचाई लगभग 8 फीट होनी चाहिए। सभी बांसों को 3एमएम के तीन तारों की लेयर से बांधना होता है। इसके साथ-साथ जूट अथवा प्लास्टिक की सुतली फसल की स्पोर्ट के लिए लगाई जाती है। इस विधि पर किसान का लगभग 60 हजार रुपये का खर्च आता है, जिस पर 31 हजार 200 रुपये प्रति एकड़ किसान को अनुदान प्रदान किया जाता है।
70 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान
कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि बांस-तार के अतिरिक्त आयरन स्टाकिंग विधि जिसमें बांस-तार की जगह लोहे की एंगल लगाकर ढांचा बनाया जाता है और इस पर बेल वाली सब्जियां लगाई जाती है। उन्होंने कहा कि इस विधि के अपनाने पर प्रति एकड़ लगभग 1 लाख 42 हजार रुपये खर्च आता है, जिस पर बागवानी विभाग 70 हजार 500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान किसानों को देता है। कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि जिला रोहतक में बेल वाली सब्जियों की काश्त बांस-तार विधि पर काफी प्रचलित हो चुकी है। जिले में लगभग 250 हेक्टेयर क्षेत्र में इस विधि पर किसान बेल वाली सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। उपायुक्त ने कहा कि मौजूदा समय बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी व करेला आदि के उत्पादन के लिए बेहतर है। किसान बेल वाली सब्जियों बांस-तार की विधि पर लगाकर बहुत अच्छा मुनाफा पा सकते हैं।
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