नवरात्रों की अष्टमी पर हुआ कन्या पूजन
- श्रद्धालुओं ने की माता की कढ़ाई
नवरा़त्रों की अष्टमी पूजन अनुष्ठान श्रद्धा और विश्वास के साथ आयोजित किया गया। श्रद्धालुओं ने माता की कढ़ाई की तथा कन्या पूजन किया। माता के नाम पर हलवा, पूरी तथा छोले के अतिरिक्त अन्य प्रसाद भी बनाया गया। आज लोगों को कन्याओं का महत्व समझ आया। एक घर से दूसरे घर में कन्याओं का इन्तजार हो रहा था। कन्या भी मानों कह रही हों कि ’पूजा नहीं, मुझे जीवन और सम्मान दो’।
एडवांस बुकिंग थी
श्रद्धालुओं ने कन्याओं भोजन करवाया। कन्याओं को माता का स्वरूप माना जाता है। कन्याओं की पहले से ही बुकिंग थी। हालांकि कुछ साल पहले की स्थिति में कुछ बदलावा आया है। कुछ हद तक बालिकाओं का अनुपात बढ़ा है। इसके बावजूद स्थिति अच्छी नहीं है। जिन श्रद्धालुओं को कन्याओं का पूजन करना व उन्हें भोजन करवाना था, उन्होंने संभव घरों से पहले कन्याओं की बुकिंग कर ली थी। स्थिति ये थी कि एक-एक कन्या को दस-दस घरों में भी जाना पड़ा है। यह बात अलग है कि हर घर से कन्या को भोजन के साथ दक्षिणा भी मिली है।
शिक्षा और सम्मान है सच्ची पूजा
आर्य समाजी जयप्रकाश आर्य का कहना है कि अष्टमी के दिन कन्या पूजन श्रद्धा और विश्वास से जुड़ा है। यह आस्था का प्रश्न हैं जो गलत नहीं है। लेकिन इसके पीछे भावना यही है कि हम बालिकाओं के साथ भेदभाव ना करें। उन्हें कुषोषण का शिकार ना होने दें। उन्हे शिक्षा और रोजगार के पूर्ण अवसर दें। तभी हम दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन की सार्थकता को सही सिद्ध कर पाएंगे।
क्या कहना है श्रद्धालुओं का
श्रद्धालु गुंजन गिरोत्रा, माया देवी, गीता रानी तथा यतिन आदि का कहना है कि इस बार कोविड-19 के चलते कुछ अतिरिक्त सावधानियां रखनी पड़ी। माता-पिता कन्याओं के सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। इसके बावजूद यह आयोजन बहुत अच्छा रहा। श्रद्धाुलओं के साथ-साथ कन्याओं ने भी इस आयोजन का आनंद लिया। साथ ही माता की पूजा अर्चना भी श्रद्धा व विश्वास से हुई।
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