बेहद लोकप्रिय व्यक्तित्व थे अनिल दुआ

पुण्यतिथि पर विशेष
24सी न्यूज, सुनील खान

कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, जो बेशक दुनिया से चले जाते हैं, लेकिन उनकी सुगंध को बरसों-बरसों तक महसूस किया जाता है। लोग उन्हें याद करते हैं और कहते हैं,
तुम बहुत याद आते हो।
जी हां, महम के लोग महम नगरपालिका के लिए पूर्व प्रधान अनिल दुआ को लेकर उनके जाने के दस साल बाद भी ऐसा ही कहते हैं।
केवल 44 साल की अल्पायु में 22 सितंबर2010 को दुआ एक दुघर्टना में चल बसे थे।
अनिल दुआ का जन्म पांच मार्च 1966 को पिता रामकिशन दुआ तथा माता लक्ष्मी देवी के घर महम में हुआ था।
हर बार अलग वार्ड से जीते चुनाव
दुआ की लोकप्रियता का आलम ये था कि वे हर बार अलग-अलग वार्ड से चुनाव जीते। 1991 में उन्होंने पहला चुनाव तात्कालीन तीन वार्ड से लड़ा। 1996 में वे वार्ड दस में पहुंच गए। 2000 में उन्होंने अपना आखिरी चुनाव वार्ड पांच से लड़ा।

1992 में वे पहली बार नगरपालिका के प्रधान बने। उसके बाद दूसरी योजना में भी प्रधान रहे। वर्ष 2000-2005 में उपप्रधान व कार्यवाहक प्रधान रहे। इस दौरान पालिका का प्रधान पद आरक्षित था।
इनेलो के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रहे
वे 1991 में इनेलो में शामिल हुए थे। इनेलो में प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उसके बाद वर्ष 2009 में उन्होंने तात्कालीन हजकां पार्टी से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा।
महम के निर्विवाद नेता थे
अनिल दुआ महम के निर्विवाद नेता थे। विशेषकर शहर के हरवर्ग में उनकी स्वीकार्यता थी। उनकी बात का सम्मान किया जाता था। वे भी हर व्यक्ति की मदद करने के लिए हर वक्त तैयार रहते थे। उनको जुबान का धनी तथा निड़र व्यक्ति माना जाता था।
फिलहाल उनके परिवार में उनकी पत्नी वीना दुआ, पुत्र भीष्म दुआ, पुत्री निशिता, पुत्रवधु दिव्या तथा पौत्र सुर्यांश हैं। दुआ के भाई गुलशन दुआ तथा पांच बहनों में चार बहनें श्रीमती राज, कैलाश, निर्मल तथा प्रेम हैं। एक बहन दुनिया में नहीं रही। है।
दुआ महम के जन-जन के दिलो दिमाग में हमेशा रहेंगे।

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