भिखारी के मरने के बाद पता चला खजाने का रहस्य
एक बार एक भिखारी था। भीख मांगकर अपने झोपड़े में आ जाता। उसने उसी झोपड़े में अपना जीवन बिताया। जो भीख में मिलता, बस उसको खाकर गुजारा कर लेता। एक दिन उस भिखारी की मृत्यु हो गई।
आसपास के लोगों ने कफन आदि का इंतजाम किया और फकीर का अंतिम संस्कार किया। उसके मरने के बाद तेज आंधी आई और उस आंधी में उस फकीर का झोपड़ा उखड़ गया।
झोपड़े के बम्बू भी उखड़ गए। जहां बम्बू गड़े थे उस स्थान से मिट्टी भी उखड़ गई। तभी पता चला कि जिस स्थान पर बैठकर भिखारी भीख मांगता था, ठीक उसी स्थान के नीचे एक खजाना गड़ा था।
भिखारी को जीवन में कभी भी पता नहीं चल पाया कि यहां खजाना गड़ा है।
ठीक इसी प्रकार हम भी ऐसे ही हैं। जीवन भर अपने नीचे गड़े खजाने को जानने की बजाय सांसरिक क्रियाकलापों में उलझे रहते हैं। भिखारी की तरह पैसे-दो पैसे की भीख मांगते हैं, लेकिन प्रभू सिमरण के अमूल्य खजाना हम समझ ही नहीं पाते।
हमें प्रभू सिमरण के अद्भूत खजाने को समझने की जरूरत है। (ओशो प्रवचन)
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