अपने दोनों बच्चों के साथ दीपक (फाइल फोटो)

गांव निंदाना ने दिया ‘किसान शहीद’ का दर्जा

  • निंदाना के साथ बैंसी में भी शोक की लहर
  • निंदाना की शहीद पार्क में किया अंतिम संस्कार
  • दो दिन तक किया मौत से संघर्ष
  • किसान आंदोलन में लगातार नि:शुल्क पहुंचा रहा था जरुरत की वस्तुएं
  • बहादुरगढ़ के पास किसानों के लिए लकड़ियां उतारते हुए गिर गया था दीपक
  • बैंसी से निंदाना के लिए निकली अंतिम यात्रा

किसान आंदोलन में लगतार सक्रिय रहा गांव निंदाना का 32 वर्षीय दीपक नेहरा आखिर मौत से हार गया। दीपक पांच फरवरी को बहादुरगढ़ में किसान शिविर में लकड़ियां उतारते हुए गिर गया था। तभी से वह कोमा में था और पीजीआई रोहतक में उसका इलाज चल रहा था।

हालांकि दीपक का परिवार पिछले लगभग सात साल से बैंसी में रहता था, लेकिन उसका अंतिम संस्कार गांव निंदाना में ही किया गया। गांव निंदाना ने दीपक को किसान शहीद का दर्जा दिया और उसका संस्कार गांव की शहीद पार्क में किया गया। सोमवार की शाम लगभग पांच बजे हुए अंतिम संस्कार में पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी, संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि अभिमन्यु कोहाड़, विधायक बलराज कुंडू के भाई सहित हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। ग्रामीण ने कहा है कि दीपक नेहरा वास्तव में किसान आंदोलन का ‘दीपक’ था।

दीपक के अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़

पिता का साया पहले उठ चुका था

दीपक के पिता राजेंद्र की कई वर्ष पूर्व देहांत हो चुका है। दीपक की मां शीला देवी बच्चों को लेकर बैंसी में रहने लगी। यहां उनके परिवार के कुछ और सदस्य भी रहते हैं। दीपक का एक छोटा भाई नवीन है जो अविवाहित है। पूरा परिवार खेती करके की गुजरबसर कर रहा था। दीपक की पत्नी बबली भी घर और खेत का ही काम देखती है। दीपक का बड़ा बेटा पांच वर्षीय कार्तिक है तथा छोटा तीन वर्षीय नवीन है।

मां के साथ दीपक (फाइल फोटो)

दु:ख के साथ गर्व भी

दीपक के भाई नवीन का कहना है कि उनके ऊपर दु:ख का पहाड़ टूट गया है। इसके बावजूद उन्हें गर्व है कि उनका भाई किसानों के लिए शहीद हुआ है। उनके मन में किसानों के प्रति जबरदस्त स्नेह व आदर था। वह आंदोलनरत किसानों की परेशानियों से दु:खी था।

बैंसी से निंदाना आई शव यात्रा

ऐसा शायद पहली बार हुआ जब एक शव यात्रा एक गांव से दूसरे गांव गई हो। दीपक का पार्थिव शरीर पहले उसके बैंसी स्थित घर में लाया गया। यहां से रस्में पूरी करने के बाद शवयात्रा निंदाना के लिए चली। निंदाना और बैंसी के बीच ज्यादा दूरी नहीं हैं।

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