रोकथाम के लिए 16 अगस्त से टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया गया है- डॉ. समुन्द्र सिंह

गाय, भैंस, भेड़, बकरी एवं कुत्तों में फैलने वाली संक्रामक बीमारी को लेकर पशुपालन विभाग सतर्क
ब्रूसीलोसिस संक्रमण बीमारी पशुओं से इंसानों में फैलती है
महम

ब्रूसीलोसिस बीमारी की रोकथाम के लिए पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग ने 16 अगस्त से एक टीकाकरण अभियान शुरू किया है। जिसके तहत उपमण्डल में 27 सौ बछड़ियों को टीकाकरण कराया जाएगा। एसडीओ पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग महम डॉण् समुन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेश स्तर पर ब्रूसीलोसिस की बीमारी की रोकथाम के लिए यह अभियान चलाया गया है। इसके अंतर्गत 4 से 8 माह की बछड़ी व कटड़ियों को ब्रुसेलोसिस का टीका लगाया जाएगा।
तीन चरणों होगा टीकाकरण
यह टीकाकरण अभियान पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग के पशु चिकित्सकों की गठित टीमों द्वारा एक साल के अंदर तीन चरणों में चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत विभाग द्वारा टीकाकरणए वैक्सीन रख.रखाव व आवश्यक सावधानियां बरतने के लिए पहले ही हिदायतें जारी की जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि टीकाकरण के लिए गठित टीमों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध करवाए गए हैं। यह वैक्सीन 4 से 8 माह की उम्र की सभी मादा कटड़ियों व बछड़ियों की गर्दन पर 2 मिली लीटर की मात्रा में लगाई जाती है।
लाइलाज रोग है ब्रूसीलोसिस
उन्होंने बताया कि पशुपालक का फोन नंबर व आधार नंबर के साथ पंजीकरण करके और पशु के कान में टैग लगाकर भारत सरकार के आनलाइन पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा। कुछ पशुओं के टीकाकरण से पहले व बाद में खून के नमूने लेकर परीक्षण किया जाएगा। ब्रूसीलोसिस एक जीवाणु जनित खतरनाक व लाईलाज पशु जन्य जूनोटिक रोग है। यह बीमारी पशुओं से इंसानों में फैल सकती हैए जिससे व्यक्ति लंबे समय तक संक्रमित रहता है।
क्या है ब्रूसीलोसिस?
गर्भधारण करने के बाद गाय या भैंस समय पूरा होने से पहले ही भ्रूण को बाहर निकाल दे तो इसे ब्रूसीलोसिस कहा जाता है। अगर यह बीमारी किसी पशु में होने से अन्य पशुओं में भी बहुत तेजी से फैलती है। उन्होंने बताया कि ब्रुसेलोसिस की बीमारी से बचाव का एकमात्र उपाय टीकाकरण ही है।
जोनिटिक बीमारी है ब्रूसीलोसिस
ब्रूसीलोसिस गायए भैंसए भेड़ए बकरीए शुकर एवं कुत्तों में फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी हैं। यह जोनिटिक बीमारी है। जो पशुओं से मनुष्यों एवं मनुष्यों से पशुओं में फैलती है। इस बीमारी से ग्रस्त पशु 7.9 महीने के गर्भकाल में गर्भपात हो जाता है। ये रोग पशुशाला में बड़े पैमाने पर फैलने की संभावना रहती है। पशुओं में गर्भपात हो जाता है जिससे भारी आर्थिक हानि होती है। ये बीमारी मनुष्य के स्वास्थ्य एवं आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद गंभीर है। विश्व स्तर पर लगभग 5 लाख मनुष्य हर साल इस रोग से ग्रस्त हो जाते है।
जिला रोहतक में 19250 कटडे व बछड़ियां हैं
उप निदेशक पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग रोहतक डॉण् सूर्या खटकड़ ने बताया कि जिला रोहतक में 19250 कटडे व बछड़ियां हैंए जिनका टीकाकरण किया जाएगा। गाय भैंस में ये रोग ब्रूसेल्ला एबोरटस नामक जीवाणु द्वारा होता है। ये जीवाणू गाभिन पशु के बच्चेदानी में रहता है तथा अंतिम तिमाही में गर्भपात करता है। एक बार संक्रमित हो जाने पर पशु जीवन काल तक इस जीवाणु को अपने दूध तथा गर्भाश्य के स्त्राव में निकालता है। इसलिए दूध को हमेशा उबाल आने के बाद और 10 मिनट तक उबाल कर इस्तेमाल करना चाहिए।
यह हैं लक्षण
उपनिदेशक पशुपलन एवं डेयरिंग रोहतक डा0 सूर्या खटकड़ ने बताया कि पशुओं में गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में गर्भपात होना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। पशुओं में जेर का रूकना एवं गर्भाशय की सूजन एवं नर पशुओं में अंडकोष की सूजन इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। पैरों के जोड़ों पर सूजन आ जाती है । मनुष्य को इस रोग में तेज बुखार आता है जो बार बार उतरता और चढ़ता रहता है तथा जोड़ों और कमर में दर्द भी होता है।
ये है बचाव
डॉण् सूर्या खटकड़ ने जिले के सभी पशुपालकों को कैसे करें बचाव व प्रबंधन बारे अवगत करवाया कि स्वस्थ गाय भैसों के मादा बच्चों में 4.8 माह की आयु में ब्रुसेल्ला एस.19 वैक्सीन से टीकाकरण करवाना चाहिए। नए खरीदे गए पशुओं को ब्रुसेल्ला संक्रमण की जांच किए बिना अन्य स्वस्थ्य पशुओं के साथ कभी नहीं रखना चाहिए। अगर किसी पशु को गर्भकाल के तीसरी तिमाही में गर्भपात हुआ हो तो उसे तुरंत फार्म के बाकी पशुओं से अलग कर दिया जाना चाए। उसके स्त्राव द्वारा अन्य पशुओं में सक्रमण फैल जाता है।अगर पशु का गर्भपात हुआ है इस स्थान को फेनाइल द्वारा विसंक्रमित करना चाहिए। रोगी मादा पशु के कच्चे दूध को स्वस्थ्य नवजात पशुओं एवं मनुष्यों को नहीं पिलाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि मादा पशु के बचाव के लिए 6.9 माह के मादा बच्चों को इस बीमारी के विरूद्ध टीकाकरण करवाना चाहिए। नर पशु या सांड का टीकाकरण कभी नहीं कराना चाहिए।आसपास की धूलए मिट्टीए भूसा चारा आदि को जला देना चाहिए तथा आसपास के स्थान को भी जीवाणुरहित करना चाहिए।(विज्ञप्ति)24c न्यूज/ इंदु दहिया 8053257789

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