महम चौबीसी के एक गांव में स्थित यह कुआ, वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है
*लगभग 200 साल पहले इस गांव के सेठ हीरालाल ने बनवाया था यह कुआ!
*आज भी ग्रामीणों को याद है हीरालाल फरमाणिया
इंदु दहिया
हमारे पूर्वज बेशक किताबी ज्ञान में आज की पीढ़ी से कम थे, लेकिन उनमें वर्तमान और भविष्य को समझने की समझ गजब की थी। वे उसी समझ से न केवल वर्तमान पीढ़ी को सुरक्षित व संरक्षित रखते थे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का जीवन सवारंने और उन्हें सहज करने का प्रयास भी करते थे। तालाबों, कुओं और चौपालों आदि का निर्माण पूर्वजों की इसी शानदार समझ का प्रमाण है। पूर्वजों द्वारा करवाए गए ये निर्माण हमारी अमूल्य विरासत भी हैं और उनके द्वारा दिया गया उपहार भी।
महम चौबीसी के गांव फरमाणा खास में एक कुआ है। इस कुए का वैभव देखकर ही लगता है कि किसी समय ये कुआ कितना सुंदर रहा होगा। ग्रामीण बता भी रहे हैं कि उस समय के हरियाणा क्षेत्र में इससे सुंदर कुआ हमने नहीं सुना था। दूसरे गांवों से भी ग्रामीण इस कुए को देखने आते थे। यह कुआ लगभग दो सौ साल पहले गांव के सेठ हीरालाल ने बनवाया था।
आठ भौण का है यह कुआ
आमतौर पर एक कुए पर एक से चार भौण ही होते थे। फरमाणा का यह कुआ आठ भौण का है। यानि एक समय पर पानी से भरे आठ डोल इस कुए से खीचें जा सकते थे। कहा ये जा रहा है कि ऐसा कुआ देश भर में ही शायद कहीं होगा। कुए का पानी भी बहुत अच्छा था। यह कुआ लगभग सवा सौ हाथ गहरा था। फरमाणा के बुजुर्ग रामफल बताते हैं कि कुए का पानी इतना नीचे था कि कुए का पानी एक बड़े सितारे के रूप में नीचे दिखता था।
वास्तुकला का गजब नमूना है ये कुआ
यह कुआ वास्तुकला का गजब का नमूना है। इस कुए के चारों ओर अब भी सुरक्षित चार गुमंद हैं। कुए के पाडछे भी इसके सौंदर्य की कहानी कहते हैं। मुगलकालीन कारीगरी से बना एक खास किस्म का कमरा आज भी बेहद आकर्षक दिखता है। लगभग दस साल पहले हीरालाल के वंशजों ने इस कुए का जीणोद्धार करवाया था। इसकी मरम्मत भी करवाई थी। हालांकि फिर से इसके परिसर में झाड़ियां और घास उग आई हैं। लेकिन इसका सौंदर्य अभी भी देखते ही बनता है।
पूरी बारात के नहाने की भी व्यवस्था थी
हीरालाल के वंशज जुलाना के राजेंद्र सिंह सिंगला ने बताया कि इस कुए पर महिलाओं तथा पुरुषों के लिए नहाने की अलग-अगल व्यवस्था थी। यहां तक कि पूरी बारात भी यहां नहा सकती थी। यहां बना कमरा सामूहिक आयोजन पर नहाने के दौरान कपड़े आदि बदलने के काम भी आता था।
कौन था सेठ हीरालाल
सेठ हीरालाल फरमाणिया लगभग दो सौ साल पहले फरमाणा के प्रसिद्ध सेठ थे। गांव में कुए के अतिरिक्त एक मंदिर का निर्माण भी उन्होंने करवाया था। फिलहाल उनके वंश का केवल एक परिवार गांव में रह रहा है। बाकी सब परिवार देश के अन्य स्थानों पर जाकर बस गए। देश के कई प्रमुख शहरांे में उनके वशंज रह रहे हैं। दूसरे देशों में भी उनके कुछ वशंज गए हुए हैं। जुलाना में इस समय में उनकी छटी से आठवीं पीढ़ी चल रही हैं। दिल्ली में रह रहे रामबाबू सिंगला ने बताया कि वे कुछ समय के अंतराल के बाद भागवत् कथा कराते हैं। इस कथा में उनका अधिकतर परिवार एकत्र होता है। जुलाना के मुकेश सिंगला ने बताया कि वर्तमान में हीरालाल के वशंजों की संख्या 600 से भी अधिक है। इंदु दहिया/ 24c न्यूज/ 8053257789
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Lot of people from FARMANA village have been staying in different places of country including Kolkata as I know. It is really a matter of knowledge and information for them to appreciate. They should learn more and do some similar things for their village. Though I don’t belong to Farmana but I am also coming from Hariyana state.
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