मोखरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन
संजीव मोखरा
गांव मोखरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन प. जितेंद्र दीक्षित ने भक्तों को अपनी वाणी से कथा में बांधे रखा। प. जितेंद्र दीक्षित जी ने कहा कि मनुष्य अहंकार रूपी अंधकार में डूबा हुआ है। जब तक वह अंधकार से बाहर नहीं निकलेगा तब तक उसे अच्छी संगति प्राप्त नहीं हो सकती है।
जितेंद्र दीक्षित ने बताया कि मनुष्य के अंदर छह सबसे बड़े शत्रु विराजमान रहते हैं – काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्र्या, द्वेष। यदि मनुष्य को भगवान की भक्ति चाहिए तो सबसे पहले इन अंदर छिपे छह शत्रुओं का नाश करना होगा, मन को निर्मल बनाना होगा। अंत:करण को शुद्ध करोगे तो ही नारायण प्राप्त हो सकते हैं। ऋषियों और जय विजय का संवाद सुनाते हुए कहा कि प्रभु के भक्तों को कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए। क्रोध करने से हमारा जो पुण्य एवं जो धर्म होता है वह नष्ट हो जाता है। उन्होंने बताया कि यदि मनुष्य एक वर्ष तक अच्छे कार्य करके फल पाते हैं तो क्रोध उसे एक मिनट में नष्ट कर देता है।
कर्दम ऋषि का प्रसंग सुनाया
जितेंद्र दीक्षित कर्दम ने ऋषि का एक सुंदर प्रसंग सुनाते हुए बताया कि कर्दम का अर्थ है जिसने अपनी सारी इंद्रियों को प्रभु के चरणों में जोड़ दिया हो, उसे कर्दम कहते हैं। तत्पश्चात कपिल दूत भूति संवाद सुनाया। भक्तजन तन-मन और लगन से कथा का आनन्द ले रहे हैं और प्रभु की भक्ति में डूब रहे हैं। सोमवार की शाम कान्हा जन्म की कथा होगी और सुंदर झाकियां भी निकाली जाएगी।
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