बेल्लारी में स्वर्ण पदक जीतने के बाद रीतिका

पहली बार जूनियर वर्ग में खेल रही थी रीतिका

बेल्लारी कर्नाटका में संपन्न हुई है चैंपीयनशिप
महम

महम चैबीसी के गांव खरकड़ा की बेटी रीतिका ने जूनियर महिला एवं सब जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपीयनशिप के जूनियर वर्ग के 72 कि.ग्रा. भारवर्ग में स्वर्ण जीता है। चैंपीयनशिप बेल्लारी कर्नाटक में संपन्न हुई है।
12वीं कक्षा की छात्रा रीतिका पांच साल से कुश्ती की ट्रेनिंग ले रही हैं। रीतिका की ट्रेनिंग के चलते ही उसके पिता जगबीर सिंह फिलहाल रोहतक में रह रहे हैं।

रीतिका को विजयी घोषित करते रैफरी


पांच साल पहले शुरु किया था अभ्यास
रीतिका ने पांच साल पहले ही कुश्ती का अभ्यास शुरु किया था। तब से अब तक उसने जिस भी प्रतियोगिता में भाग लिया स्वर्ण ही जीता है। रीतिका का कहना है कि उसका लक्ष्य ओलंपिक जीतना है। जिसे वह हर हाल में हासिल करके रहेगी। रीतिका छोटूराम स्टेडियम रोहतक में कोच मन्दीप तथा नीतू देवी के अंडर अभ्यास करती है।
शहीद की बहन है रीतिका
रीतिका खरकड़ा के शहीद जोगेंद्र की चचेरी बहन है। जोगेंद्र गत 28 जनवरी को युद्धाभ्यास के दौरान शाहदत्त को प्राप्त हो गए थे। रीतिका का बड़ा भाई भी सेना में हैं। उसके पिता भी सेना से ही सेवानिवृत हैं। माता नीलम देवी गृहणी हैं, लेकिन रीतिका की सफलता में उनका सर्वाधिक योगदान है।

माता पिता के साथ रीतिका


बैंक में क्लर्क हैं पिता
रीतिका के पिता जगबीर सिंह सेना से सेवानिवृत होकर बैंक में क्लर्क के रूप में कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि रीतिका पर 30 हजार रूपए प्रतिमाह खर्च होता है। इनमें से रीतिका को दस हजार रूपए खेलो इंडिया के तहत छात्रवृति मिलती है जबकि 12 हजार रूपए प्रतिमाह एनएचपीसी से छात्रवृति मिलती हैं। शेष राशि वे अपने संसाधनों से जुटा लेते हैं, कोई समस्या नहीं है। जगबीर ंिसह भी अपनी बेटी को ओलंपिक को स्वर्ण पदक जीतते देखना चाहते हैं।

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