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राजा के तीनों बेटे फेल हो गए उत्ताराधिकारी की परीक्षा में?आज का जीवनमंत्र 24c

क्या थी परीक्षा जानिए?

एक बार एक राजा के तीन बेटे थे। राजा तीनों में से किसी एक को अपना उत्तराधिकारी चुनना चाहता था। राजा ने तीनों बेटों को परीक्षा के लिए बुलाया।
राजा ने तीनों बेटों से कहां कि वे बताएं कि उन्होंने आज दिनभर में सबसे अच्छा कार्य क्या किया है? ऐसा कार्य बताओं, जो तुमने निःस्वार्थ किया हो?
पहले बेटे ने कहा कि उसके पास नगर सेठ काफी संख्या में हीरे जवाहरात छोड़ गया था। नगर सेठ ने उन्हें गिना भी नहीं थां वह सारे हीरे व जवाहरात उसे दे गया। नगर सेठ वापिस आया तो उसने वे सारे हीरे व जवाहरात सेठ को पूरे के पूरे के पूरे वापिस दे दिए। अगर वो उनमें से कुछ हीरे जवाहरात निकाल लेता तो नगर सेठ को पता भी नहीं चलता। फिर भी उसने सारे जवाहरात वापिस लौटा दिए।
राजा ने पूछा कि अगर तुम उनमें से हीरे जवाहरात निकाल लेते तो क्या तुम्हारा मन कुठिंत होता? बेशक सेठ को पता नहीं चलता, लेकिन तुम्हें तो आत्मग्लानी होती।
राजा के बेटे ने कहां, हां! अगर मैं ऐसा करता तो मुझे तो आत्मग्लानी होती।
राजा ने कहा, बेटा! तो तुमने अपनी आत्मग्लानी से बचने के लिए उसमें से हीरे जवाहरात नहीं चुराएं। ये कार्य तो निःस्वार्थ नहीं हुआ।
दूसरे बेटे ने कहा कि उसने तेज लहरों में डूबते हुए व्यक्ति को बचाया है। बहुत तेज उफनती नदी में एक व्यक्ति बह रहा था। वहां आसपास भी कोई नहीं था। उसे बचाने में खतरा भी बहुत अधिक था। इसके बावजूद लहरों मे कूद कर उस व्यक्ति को उसने बचाया।
राजा ने पूछा कि यदि तुम उस व्यक्ति को नहीं बचाते तो जीवनभर तुम्हें तकलीफ रहती कि मैने उस व्यक्ति को नहीं बचाया। उसे बचाना चाहिए था। यह भी आत्मग्लानी ही है और एक प्रकार का स्वार्थ ही है।
अब तीसरे बेटे ने बताया कि एक व्यक्ति पहाड़ की चट्टान से गिरने वाला था। अगर वो एक-दो सकेंड भी उसे नहीं बचाता तो वह उस पहाड़ की चट्टान से गिर ही जाता। जब वह उसे बचा रहा था तो पता चला कि वह व्यक्ति तो उसका दुश्मन है। फिर भी उसने उसे बचाया। उसके बाद यह भी पता चला कि वह व्यक्ति वहां आत्महत्या करने गया था। अब वह व्यक्त्ति उसे गाली दे रहा है कि उसे क्यों बचाया गया। फिर भी उसका मानना है कि उसने एक व्यक्ति की जान बचाई।
राजा ने कहा कि तुम्हारा काम बाकी दो अच्छा है, लेकिन सर्वश्रेष्ठ नहीं। जब तुम अपने इस कार्य का बखान कर रहे थे तो तुम्हारी बातों में अहंकार था। तुम्हे लग रहा था कि तुमने कोई बहुत बड़ा कार्य कर दिया है।
अगर किसी काम को करते समय अहंकार आ जाता है तब भी वह कार्य श्रेष्ठ नहीं रहा जाता।
राजा ने कहा कि उसे कोई और उत्तारिधिकारी तलाशना होगा।

आपका दिन शुभ हो!!!!!

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