महम की सुरंगों के बारे में पहली बार एक खास स्टोरी
- क्या हैं महम की सुरंगों की बारें में प्रामाणिक जानकारियां?
- 1995 की बाढ़ ने खोला था एक सुरंग का रहस्य
- 24सी न्यूज की खास रिपोर्ट
जीवन के अति प्रारंभिक चरण से ही प्राणी में सुरक्षा या असुरक्षा का भाव उत्पन्न होने लग जाता है। विशेषकर मानव ने अपनी सुरक्षा के लिए लगातार एक के बाद एक उपाय किए हैं। गड्ढे में रहने से सुरक्षित दुर्ग बनाने तक की मानव की विकास यात्रा सुरक्षा और असुरक्षा के भावों के इर्दगिर्द ही घुमती है। जमीन में सुरंगे बनाकर संकट के समय सुरक्षित बाहर निकलने का चलन प्राचीन से मध्यकाल तक खूब था।
महम एक ऐतिहासिक और प्राचीन स्थान हैं। क्या यहां भी सुरंगे थी? इन सुरंगों की कोई प्रामाणिक जानकारी भी है या नहीं? ये प्रश्र अक्सर यहां पूछे जाते हैं और इन पर अपने अपने स्तर और ज्ञान के आधार पर चर्चा भी होती रही है। 24सी न्यूज आज प्रस्तुत कर रहा है इन प्रश्रों के उत्तर देती विशेष स्टोरी।
जज साहब के मकान के पास देखी गई थी सुरंग
वर्तमान वार्ड 15 में बड़े गुरुद्वारे के उत्तर-पश्चिम में एक और गुरुद्वारा है। यहां भी आजादी से पहले एक ऐतिहासिक मस्जिद होती थी। शिवराज गोयत ने बताया कि बुजुर्ग बताते थे कि यहां उस समय के एक अति प्रभावशाली व्यक्ति का घर था। जो उस समय का जज था। यहीं पर उनकी मस्जिद भी थी। बाद में इस परिसर में उस समय के नगरपालिका सचिव गुरवचन सिंह रहे।
गुरवचन सिंह के बेटे सरदार जसविंद्र सिंह ने बताया कि लगभग चालीस साल पहले वे अपने घर के लिए शौचालय की कुई खोद रहे थे। लगभग चालीस फुट नीचे जाकर सुरंग निकल आई थी। वे स्वयं भी उसमें उतरे थे। इस सुरंग में टार्च की रोशनी भी ज्यादा काम नहीं कर रही थी। यह सुरंग दोनों तरफ गुजर रही थी। शिवराज गोयत ने बताया कि कुछ अन्य स्थानों पर भी सुरंग होने की प्रामाणिक जानकारी है।
बाढ़ के बाद यहां आई दरारें
बड़े गुरुद्वारे के ही पश्चिम दक्षिण में वार्ड में, जहां आजकल पूर्व नगरपालिका प्रधान बलदेवराज सचदेवा उर्फ भोजा राम का मकान है, उसके आसपास एक सीधी लाइन में कुछ मकानों में दरारें आ गई थी। इस लाइन पर जमीन नीचे की ओर भी खिसक गई थी। एक अनुमान ये भी है कि यहां नीचे कोई सुरंग थी।
यहां भी देखी गई थी सुरंग
वर्तमान वार्ड 12 में वैद्य देवीलाल अस्पताल से ऊपर चढ़कर एक घर है। इस घर में लगभग 35 साल पहले ही शौचालय की कुई खोदते समय सुरंगनुमा कुछ देखा गया था। इसे बंद कर दिया गया था। कुछ साल पहले पेयजल लाइन लीक होने से यहां कहीं अंदर पानी की रिसाव हुआ था और मकानों में दरार आई थी। एक लाइन में जमीन भी नीचे की ओर सिसकी थी। यहां भी कुछ अनुमानों में से एक यह है कि कोई सुरंग थी।
क्या बावड़ी के साथ सुरंगों का कोई संबंध है?
इस इलाके में किवदन्ति है कि महम की बावड़ी से कई सुरंगों का जुड़ाव था। यह भी कहा जाता है कि यहां से सुरंगे दिल्ली तक जाती थी, लेकिन इस बात के कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं। ना ही बाबड़ी में सुरंगों के होने की सार्थकता समझ में आती है। बावड़ी एक जलस्त्रोत होता था। उसके साथ सुरंगे की आवश्यकता नहीं थी। इसके बावजूद इस संबंध में निश्चिततौर पर कुछ भी कहना है जल्दबाजी होगी।
सभी जानकारियां बातचीत पर और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर हैं।
बिना कैप्शन के फोटो केवल सांकेतिक हैं
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