खेत में पाले से नष्ट हुई टमाटर की फसल को दिखाता जयकृष्ण अहलावत

या भाव नहीं मिलने से किसानों ने खुद छोड़ दी खेती

  • सबसे छोटा गांव एक समय था रोहतक का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक गांव
  • कुल 1500 में से लगभग तीन सौ एकड़ में होने लगी थी टमाटर की खेती
  • इस वर्ष केवल दो एकड़ में है टमाटर की फसल

महम शहर के पूर्व में बसा एक बहुत छोटा गांव गंगानगर 10-12 वर्ष पहले जिला रोहतक का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक गांव होता था। टमाटर भी उच्च गुणवत्ता का। अचानक ऐसा क्या हुआ कि गंगानगर के किसानों ने टमाटर की खेती ही करनी छोड़ दी। इस वर्ष इस गांव में केवल दो एकड़ में टमाटर की खेती हुई थी। वह भी पहले सर्दी ने मार दी। अब भाव नहीं मिल रहा।

2007-08 में था पीक टाइम

इस गांव में वर्ष 2003 के आसपास से किसानों ने टमाटर की खेती शुरु की थी। यहां का किसान बेहद मेहनती तथा एंडवास सोच रखता है। इस गांव के किसानों के पास लगभग 1500 एकड़ कृषि भूमि है। वर्ष 2007-08 में इस गांव में इस गांव में लगभग तीन सौ एकड़ में टमाटर की फसल थी। इसके बाद धीरे-धीरे किसानों का टमाटर की खेती से मोह भंग हो गया।

बढ़ते तापमान का असर

किसान जयकृष्ण व मनीष अहलावत ने बताया कि टमाटर की रोपाई जुलाई या अगस्त के मध्य तक होती है। इससे पहले पौध तैयार करनी पड़ती हैं। बढ़ती गर्मी के कारण पहले तो पौध ही तैयार नहीं हो पाती। पौध तैयार होकर रोप भी दी जाती हैं, तो चलती नहीं है। बढ़ते तापमान का असर टमाटर की खेती पर पड़ रहा है। टमाटर के 25 से 18 से. तापमान उपयुक्त रहता है। पहले तापमान ज्यादा होता है। बाद में ज्यादा कम हो जाता है। दोनों की स्थिति में टमाटर को नुकसान होता है। उपयुक्त तापमान ना होने के कारण टमाटर में मरोड़िया भी आ जाता है।

पांच रुपए प्रति कि.ग्रा. का भाव भी नहीं मिला

किसानों का कहना है कि मौसम की मार से टमाटर बच भी जाए तो किसानों को लागत के अनुरूप भाव भी नहीं मिल रहा। टमाटर की खेती पर लगभग 30 हजार रुपए प्रति एकड़ का तो खर्च आ जाता है। मनीष अहलावत ने बताया कि वे केवल चार कैरेट टमाटर लेकर मंडी आए थे। उसे केवल 120 रुपए प्रति कैरेट का भाव मिला। एक कैरेट में 25 कि.ग्रा. टमाटर रखे जाते हैं। पांच रुपए प्रति कि.ग्रा. का भाव भी किसान को नहीं मिला।

मंडी में अपनी टमाटर की कैरेट के साथ खड़ा किसान मनीष

नहरी पानी भी है समस्या

किसानों ने बताया कि अब उनके गांव को पर्याप्त नहरी पानी नहीं मिल रहा। ट्यूबवैलों का पानी टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। यह भी एक कारण है कि किसानों ने टमाटर की खेती बंद कर दी।

किसानों का कहना है कि एक तरफ तो फलों और सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने की बात की जा रही है। वहीं दूसरी ओर कोई किसान जोखिम उठाकर ऐसी फसलों की बिजाई करता है तो उसको संरक्षण नहीं दिया जाता। हार कर किसान वापिस परंपरागत खेती पर ही आ जाता है।

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