पालिका प्रधान ने कहा उपायुक्त की तरफ से आया था प्रस्ताव
- मार्ग का नाम स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर होने की नहीं थी जानकारी
महम नगरपलिका को यह जानकारी ही नहीं है कि महम के किस मार्ग का नाम महम के किस स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर है। जबकि सरकार के आदेशानुसार पालिका पार्षदों द्वारा ही 15 दिसंबर 1989 को महम के मुख्य मार्गों के नाम महम के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए थे। पालिका प्रशासन द्वारा कुछ ही दिनों में यह दूसरी भूल है।
6 अप्रैल को हुई पालिका पार्षदों की बैठक में महम के रविदास मंदिर से गीता भवन मंदिर तक के मार्ग का नामकरण शहीद मुकेश कुमार के नाम पर कर दिया गया। जबकि 15 दिसंबर 1989 के पालिका के प्रस्ताव नंबर 5 के आइटम 7 के अनुसार यह मार्ग स्वतंत्रता सेनानी लाला मुंशीराम चरण के नाम के मार्ग का लगभग आधा हिस्सा है। 1989 के प्रस्ताव के अनुसार खानगाह मौहल्ला में बाईपास मोड़ से मेन बाजार को क्रॉस करता हुआ गीता भवन मंदिर से होता हुआ जीटी रोड पर रामशरण की चक्की तक के रोड का नाम लाला मुंशीराम चरण रोड होगा।
इससे पूर्व स्वतंत्रता सेनानी बद्री प्रसाद काला के नाम के रोड के एक भाग का नाम भी लाला माई दयाल के नाम पर पालिका ने किया है। यह मामला भी काफ़ी तुल पकड़ा था। पालिका पार्षदों ने 22 जुलाई 2022 को इस संबंध में पालिका सचिव को पत्र भी लिखा था। इस मामले में पुनर्विचार करने की मांग की थी।
बद्री प्रसाद काला के पुत्र जगत सिंह काला ने कहा है कि पालिका प्रशासन की लापरवाही की हद्द है। शहीदों के नाम पर मार्गों तथा चौक चौराहों के नाम होना अच्छी बात है, लेकिन पहले से ही स्वतंत्रता सेनानियों के नाम नहीं मिटाए जाने चाहिएं। शहीद मुकेश के नाम पर किसी पार्क या चौराहे का नामकरण किया जा सकता था। इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य मार्ग का नाम भी रखा जा सकता था। स्वतंत्रता सेनानी के नाम के मार्ग का नाम बदलना ठीक नहीं है। जगत सिंह काला का कहना है कि पालिका प्रशासन द्वारा सभी मार्गों पर नामकरण से संबंधित स्वतंत्रता सेनानियों के नामों की पट्टी लगा देनी चाहिए ताकि सबको यह जानकारी हो जाए कि किस मार्ग का नाम किस स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर है। काफ़ी समय से किसी भी मार्ग पर नामकरण से संबंधित बोर्ड नहीं लगा हुआ है।
इधर पालिका प्रधान भारती पंवार का कहना है कि इस संबंध में पालिका के पास उपायुक्त महोदय की तरफ से पत्र आया हुआ था। इसी मार्ग का नाम शहीद मुकेश के नाम पर रखने के आदेश थे। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि इस मार्ग का नाम लाला मुंशी राम शरण के नाम पर पहले से ही है।
शहीद मुकेश कुमार आईटीबीटी में थे। 9 मई 2020 को अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान वे शहीद हुए थे। भारती पंवार के अनुसार आईटीबीटी द्वारा भी उनके नाम पर मार्ग का नामकरण करने की मांग की जा रही थी। पालिका उपप्रधान बसंत लाल गिरधर का भी कहना है कि मार्ग के पहले से नामकरण के बारे में उन्हें पता नहीं था।इंदु दहिया/ 8053257789
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